धर्मशाला अभी तक
धर्मशाला शहर को अगस्त 2015 स्मार्ट सिटी योजना के तहत घोषित करते समय 2109 करोड़ रुपए की योजनाएं प्रस्तावित की थीं। लेकिन धर्मशाला स्मार्ट सिटी के मूल प्रारूप को बदला गया जिसके चलते बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (BOT) के तहत बनने वाली योजनाओं के लिए कोई भी इन्वेस्टर नहीं मिला। जब यह योजना धर्मशाला में लागू की गई तो लोगों को कहा गया आपके स्मार्ट घर होंगे, स्मार्ट सड़कें होंगी, शहर में आधारभूत संरचना विकसित की जाएगी। लेकिन धरातल पर सच्चाई इसके विपरीत है। धर्मशाला शहर में न तो शौचालयों का निर्माण हुआ और न ही अन्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। केवल पहले से कंक्रीट से निर्मित गलियों को स्मार्ट करने के नाम पर टाइल डाल दी गईं। धर्मशाला शहर को स्मार्ट बनाने की योजना भी थी पैसा भी था बस प्लानिंग में कमी रह गई जिसके चलते अभी तक स्मार्ट सिटी नहीं बन पाई।
2109 करोड़ नहीं अब खर्च होंगे 631 करोड़
अब 2109 करोड़ की प्रस्तावित योजनाओं के बदले केवल 631 करोड़ रुपए के कार्यों का पूर्ण किया जा रहा है। इन्वेस्टर न मिलने से शेष 1478 करोड़ रुपए की योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। धर्मशाला स्मार्ट सिटी योजना जून 2023 में समाप्त हो जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 25 जून, 2015 को योजना को हरी झंडी दिखाने के बाद स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित होने वाले शहरों के पहली सूची में धर्मशाला नगर निगम का चयन किया गया था। धर्मशाला नगर निगम के कमिश्नर और धर्मशाला स्मार्ट सिटी परियोजना के एमडी अनुराग चंदर शर्मा ने बताया कि स्मार्ट सिटी धर्मशाला प्रोजेक्ट जून में खत्म होने वाला है। योजना में नियोजित 2,109 करोड़ रुपए की प्रस्तावित परियोजनाओं को बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर’ (BOT) आधार पर निष्पादित किया जाना था। इन परियोजनाओं को क्रियान्वित नहीं किया जा सका क्योंकि इन्वेस्टर नहीं आए।
केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया था प्रपोजल
मुख्य कारण स्मार्ट सिटी धर्मशाला योजना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही क्योंकि इसके मूल प्रारूप से समझौता किया गया था। मूल प्रस्ताव के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार को परियोजना के खर्च को 50:50 के आधार पर साझा करना था। बाद में, हिमाचल सरकार ने अपनी असमर्थता व्यक्त की और अपने योगदान को घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग की। केंद्र ने राज्य के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।
स्थानीय स्तर पर लेने थे निर्णय, लेकिन निर्णय लिए गए शिमला में
स्मार्ट सिटी परियोजना के मूल ढांचे के अनुसार सभी निर्णय स्थानीय स्तर पर लिए जाने थे। डिविजनल कमिश्नर धर्मशाला स्मार्ट सिटी कंपनी के भी थे और धर्मशाला नगर निगम के कमिश्नर मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि पिछली भाजपा सरकार के दौरान परियोजना का पूरा ढांचा ही बदल दिया गया। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने आदेश जारी किए कि 10 करोड़ रुपए से अधिक के सभी टेंडरों पर निर्णय टाउन एंड कंट्री प्लानिंग मंत्री द्वारा लिया जायेगा। राज्य के मुख्य सचिव को धर्मशाला स्मार्ट सिटी कंपनी का चेयरमैन व अन्य विभागों के सचिवों को सदस्य बनाया गया। इससे स्मार्ट सिटी योजना के निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया। स्मार्ट सिटी योजना पर खर्च होने वाले 631 करोड़ रुपए में से 50 करोड़ रुपए राज्य सरकार और शेष 581 करोड़ रुपए केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने हैं। इनमें से 550 करोड़ रुपए की परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं या धर्मशाला में निर्माणाधीन हैं, शेष 81 करोड़ रुपए अभी भी केंद्र और राज्य से आने बाकी हैं।