देश की राजधानी दिल्ली से आए हिमाचल की राजधानी शिमला में एक शिष्टमंडल ने शिमला में रह रहे उत्तराखंडियों के साथ मुलाकात की. यह मुलाकात शिमला के रामनगर स्थित गढ़वाल सभा भवन में हुई. दिल्ली से आए शिष्टमंडल में करीब 15 लोग शामिल थे. दिल्ली से आए इन लोगों ने गढ़वाल सभा भवन देखा और शिमला में रह रहे उत्तराखंडियों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली के साथ जुड़ाव रखने के लिए प्रेरित किया.
दिल्ली से आए गढ़वाल हितैषी सभा के आजीवन सदस्य विनोद बछेती ने बताया कि वे दिल्ली में हर रविवार को उत्तराखंड से संबंध रखने वाले बच्चों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली सिखाते हैं. साल 2012 से 46 जगहों पर बोली सीखने की यह कक्षाएं चलाई जाती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में मूल रूप से उत्तराखंड से संबंध रखने वाले लोगों की संख्या करीब 55 लाख है और उत्तराखंड के लोगों की 426 संस्थाएं भी हैं. उन्होंने शिमला में रह रहे उत्तराखंड के लोगों से भी आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली सिखाएं. बच्चे हिंदी और अंग्रेजी भाषा के साथ अपनी बोली को भी सीखकर बातचीत करें. यह समाज के विकास के लिए बहुत जरूरी है.
इस दौरान मेरू पहाड़ फाउंडेशन से जुड़े हरीश चंद्र, अमन, देवेंद्र, हरीश बिष्ट, सोनू भट्ट, डॉ. धर्मा रावत, महिपाल नेगी, दिगपाल रावत, अमित, डॉ. प्रेम देवली, प्रो. दयाल सिंह पंवार और हरीश शामिल थे. दिल्ली से आए इस शिष्ट मंडल का राजेंद्र भट्ट, माधव राणा, विनोद, राकेश बिष्ट, सुधाकर थपलियाल, देवेंद्र भट्ट, महेश्वरी कठैत, शीला डोभाल, जयंती नेगी, हेमा रावत, विमला भट्ट, यशोदा ढौंडियाल और भारती नेगी ने स्वागत किया.