छत्तीसगढ़ को आधार
छत्तीसगढ़ को आधार बनाकर हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को लागू कर दिया गया है। मगर इसके तहत जमा पैसा तीन परिस्थितियों में ही केंद्र की एजेंसी पीएफआरडीए से वापस आ सकता है। ऐसे में बेशक ओपीएस को लागू करने की बात की गई है, मगर पीएफआरडीए में जमा सरकारी अंशदान को लाने की प्रक्रिया कितनी व्यावहारिक होगी, यह भविष्य ही बताएगा। जिन परिस्थितियों में अंशदान ले सकेंगे, उनमें से एक अदालत से केस जीतना पड़ेगा। कोर्ट के आदेश के बाद विद्या उपासकों को भी ओपीएस के तहत लाया जा चुका है।
विद्या उपासक अदालत में गए तो उनके बारे में यह निर्णय लिया गया था। दूसरा, अगर बीच में कोई नौकरी छोड़ देता है तो उसको जमा अंशदान के 20 फीसदी से नकदी और 80 प्रतिशत से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में पेंशन लगाई जाती है। अगर कोई सेवानिवृत्त होता है तो उसे 60 प्रतिशत नकदी दी जाएगी और 40 प्रतिशत धनराशि का पेंशन प्लान लेना होगा। यहां ओपीएस लेने की स्थिति में सेवानिवृत्ति के दौरान उतना ही अंशदान देना होगा, जितना कि सरकार ने जमा किया है। एनपीएस में दो तरह का अंशदान जमा किया जाता है। एक सरकारी अंशदान 14 प्रतिशत तक दिया जाता है तो दूसरा कर्मचारी का 10 प्रतिशत अंशदान जमा होता है।
करोड़ को वापस लाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है सुक्खू सरकार केंद्र सरकार की एजेंसी के पास हिमाचल प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के अंशदान को वापस लाने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व की वर्तमान सरकार हाल ही में बजट सत्र के दौरान विधानसभा में एक प्रस्ताव को पारित कर चुकी है। कर्मचारियों के पास यह बजट वर्ष 2003 से जमा है। यह उल्लेखनीय है कि पीएफआरडीए एकलगत राज्य सरकार या सरकारी कर्मचारियों को एकलगत सारा पैसा वापस देने से इंकार कर चुका है।
कांग्रेस की पहली गारंटी थी ओपीएस विधानसभा चुनाव के दौरान ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करना कांग्रेस की दस में से पहली गारंटी थी। इस गारंटी के लिए कांग्रेस को सत्ता में आने के लिए फायदा भी मिला। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह ने पहली ही कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने का फैसला लिया। इसके बाद सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना जारी की गई। नगर निगम चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद वीरवार शाम को प्रदेश सरकार ने इसकी एसओपी जारी कर दी। उल्लेखनीय है कि विधानसभा बजट सत्र के दौरान भी विपक्ष ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। विपक्ष बार-बार सरकार से एसओपी जारी करने की बात करता रहा।