चीन ने तिब्बत
बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि दमनकारी चीन ने तिब्बत को बहुत नुकसान पहुंचाया है, पर हमें कभी भी इस बात का क्रोध न करते हुए बौद्धचित का अभ्यास करना है। मैक्लोडगंज में मंगलवार को दलाईलामा की दीर्घायु को लेकर आयोजित प्रार्थना सभा में बच्चों को बौद्धचित से परिचित करवाते हुए उन्होंने कहा कि तिब्बती समुदाय के लोग पूरे विश्व में शांति प्रिय माने जाते हैं।
ऐसे में तिब्बती लोगों को क्रोध में आकर जीवधारियों की हत्या नहीं करनी चाहिए और न ही मन में दूसरों को नुकसान पहुंचाने का भाव लाना चाहिए। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाईलामा ने तिब्बती युवाओं के लिए कल दो दिवसीय विशेष प्रवचन शुरू किया। भारत और आसपास के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के दो हजार से अधिक छात्र मुख्य तिब्बती मंदिर में एकत्रित हुए।
दलाईलामा ने कहा कि मन में करुणा को प्राथमिकता देते हुए बौद्धचित का अभ्यास करना चाहिए, ताकि जीवन में परिवर्तन आए। नुकसान पहुंचाने वाले भी करुणा के पात्र हैं। ऐसे में हमें उनमें कोई अंतर नहीं करना चाहिए। मन में करुणा को प्राथमिकता देकर बौद्धचित का अभ्यास करने पर लोग और नजदीक आते हैं, वहीं क्रोधित होकर हम दूसरों से द्वेष रखेंगे तो हमारा पूजा-पाठ करना भी गलत होगा।
तिब्बत के लोग अच्छे ये नाम आगे बढ़ाएं
दलाईलामा ने कहा कि तिब्बत के लोगों की छवि पूरे विश्व में अच्छी मानी जाती है, हमें इस नाम को पूरे विश्व में आगे बढ़ाना है। इसके लिए सुबह उठकर तिब्बती लोग अवलोकितेश्वर (तिब्बतियों के आराध्य देव) का चिंतन करते हुए बौद्धचित का अभ्यास करें। इससे मन में दूसरों के हित के प्रति सोचने की भावना आएगी। उन्होंने कहा कि दमनकारी चीन में भी अच्छे लोगों की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण यह है कि चीन के लोग भी अवलोकितेश्वर को मानते हैं।
जब तक जीवित रहूंगा, मानव जाति के हित में करूंगा काम
दलाईलामा ने कहा कि मनुष्य को दूसरों के हित के लिए काम करना चाहिए। जहां ऐसी व्यवस्था हो वहां शरण में जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक मैं जीवित रहूंगा, तब तक मानव जाति के लिए बौद्धचित का अभ्यास करता रहूंगा।