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क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला में होने वाले आईपीएल मैचों में डिजिटलाइजेशन को पूरी तरह से दिखाया जा रहा ठेंगा

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला में होने वाले आईपीएल मैचों में डिजिटलाइजेशन को पूरी तरह से ठेंगा दिखाया जा रहा है। दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट महाकुंभ डिजिटल युग से पूरी तरह से अछूता दिखा है। टिकट काउंटर पर न तो ऑनलाइन ट्रांजक्शन की सुविधा मिल रही है और न ही फोन में रखे दस्तावेजों को मान्यता दी जा रही है। इस कारण टिकट खरीदने के लिए दूरदराज से आने वाले क्रिकेट प्रेमियों को निराश होना पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार एचपीसीए स्टेडियम के गेट नंबर एक के पास ऑफलाइन टिकट बिक्री के लिए काउंटर स्थापित किया गया है। काउंटर रोजाना तय समय पर खुल कर 17 और 19 मई के आईपीएल मैचों की टिकटों की बिक्री कर रहा है। मगर मैचों की टिकट खरीदने के लिए पहुंचने वाले क्रिकेट प्रेमियों का यहां डिजिटल युग में सुविधा नहीं मिल पा रही है। आज के डिजिटल दौर में जहां हर कोई पैसों के लेन-देन के लिए भी यूपीआई और अन्य ऑनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहा है, वहीं इस टिकट काउंटर पर टिकट खरीदने में क्रिकेट प्रेमी परेशान हो रहे हैं। टिकट खरीदने वालों को नकदी के लिए काउंटर पर लगी लाइनों को छोड़ कर एटीएम बूथ की दौड़ लगानी पड़ रही है।

पहचान पत्र के लिए भी मोबाइल पर मौजूद आधार कार्ड मान्य नहीं किया जा रहा। इस कारण क्रिकेट प्रेमियों को आधारकार्ड की फोटो कापी के लिए लोक मित्र केंद्रों या साइबर कैफे का रुख करना पड़ रहा है। लंबा लाइन को छोड़ एटीएम की लगानी पड़ी दौड़: विशाल पुराना मटौर से टिकट खरीदने एचपीसीए स्टेडियम धर्मशाला पहुंचे विशाल ने बताया कि वह टिकट खरीदने के लिए आया था। लंबी कतार में खड़ा होने के बाद पता चला कि यहां पर सिर्फ कैश में ही पेमेंट ली जा रही है। इसके चलते उन्हें लाइन को छोड़ कर एटीएम की ओर भागना पड़ा। तब जाकर मैच देखने के लिए टिकट ले पाया।

सब्जी की रेहड़ी वाले भी ले रहे यूपीआई पेमेंट : पल्लवी

इंदौरा से धर्मशाला पहुंची पल्लवी धीमान ने कहा कि वह टिकट खरीदने काउंटर पर गई तो बताया गया किया यहां पर कैश में ही पेमेंट ली जा जाती है। इसके कारण उसे खासी मायूसी हुई। उसने हैरानी जताते हुए कहा कि अब तो सब्जी की रेहड़ी वाले भी यूपीआई से ऑनलाइन पेमेंट ले रहे हैं। मगर एचपीसीए इसे स्वीकार नहीं कर रहा।

आधार कार्ड के लिए जाने पड़ा साइबर कैफे : यश

मंडी के यश वर्मा ने बताया कि उसे छह टिकटों की जरूरत थी, लेकिन उसके बाद अपना ही आधारकार्ड था। जब उसने अन्य आधारकार्ड को फोन में दिखाने की पेशकश की तो उसे टिकट देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद उसे अन्य आधार कार्डों की फोटो कॉपी लाने के लिए साइबर कैफे का रुख करना पड़ा। इससे परेशान होना पड़ा।

ऑनलाइन और ऑफलाइन नहीं मिली सस्ती टिकट : सैलेश

चंडीगढ़ में अपना कारोबार करने वाले धर्मशाला निवासी सैलेश चौधरी ने बताया कि उन्हें पहले ऑनलाइन माध्यम से सस्ती टिकट नहीं मिली। फिर जब सस्ती टिकट की आस में चंडीगढ़ से धर्मशाला आया और काउंटर पर पहुंचा तो यहां पर भी सस्ती टिकटों को सोल्ड आउट बताया गया। अब काउंटर पर महंगी टिकटें मिल रही हैं।

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