केंद्रीय औषधि
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की पड़ताल में हिमाचल के दस उद्योगों में निर्मित 11 तरह की दवाएं व एक नामी कंपनी का टूथपेस्ट सब-स्टैंडर्ड पाया गया है। इसके अलावा देश के अन्य राज्यों के दवा उद्योगों में निर्मित 35 दवाएं भी गुणवत्ता के पैमाने पर खरी नहीं उतर पाई है। हिमाचल प्रदेश में निर्मित जों दवाएं सब-स्टैंडर्ड पाई गई है उनमें डायबिटीज ,अर्थराइटिस, विटामिन सिरप,पेट के संक्रमण, बैक्टीरियल इन्फेक्शन , हाइपरटेंशन के उपचार की दवाएं व इंजेक्शन शामिल है। सब-स्टैंडर्ड पाई गई 11 दवाओं का निर्माण नालागढ़, बद्दी, बरोटीवाला व गगरेट स्थित दवा उद्योगों में हुआ है, जबकि टूथपेस्ट का निर्माण बद्दी स्थित यूनिट में हुआ है। इसके अतिरिक्त जम्मू , बंगलूरू ,उत्तराखंड, सिक्किम, महाराष्ट्र, तेलंगाना, दिल्ली , हरियाणा, गुजरात व उत्तर प्रदेश के दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं भी सीडीएससीओ की पड़ताल में फेल हुई है।
राज्य दवा नियंत्रक ने सीडीएससीओ के हवाले से जारी ड्रग अलर्ट के आधार पर संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है, इसके अलावा सबंधित क्षेत्रों के सहायक दवा नियंत्रकों को उद्योगों का दौरा कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। बता दें कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मार्च माह में देश के अलग राज्यों से 1497 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे जिनमें से जांच के दौरान 48 दवाएं सब-स्टैंडर्ड निकली है, जबकि 1449 दवाएं गुणवता के पैमाने पर सही पाई गई है। -एचडीएम एक टूथपेस्ट भी फेल मार्च माह के ड्रग अलर्ट में हिमाचल के दस उद्योगों में निर्मित 11 दवाएं जिनमें एक कंपनी की एक दवा के दो अलग-अलग बैच और एक दवा कंपनी की दो अलग-अलग दवाएं भी जांच में सब-स्टैंडर्ड पाई गई है। जबकि एक नामी कंपनी का टूथपेस्ट भी गुणवत्ता के पैेमाने पर सब-स्टैंडर्ड निकला है। जल्द होगी कार्रवाई राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि सीडीएससीओ दवारा जारी ड्रग अर्लट में शामिल सभी संबंधित दवा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिए हैं। इसके अलावा सहायक दवा नियंत्रकों से विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की गई है, जिन दवा कंपनियों की दवाएं बार-बार सब-स्टैंडर्ड पाई जा रही है।