कुल्लू का जापानी फल
कुल्लू जिले का जापानी फल बाहरी राज्यों के व्यापारियों को खूब पसंद आ रहा है। आलम यह है कि पकने से पहले ही इस फल की खरीद-फरोख्त हो रही है। बताया जा रहा है कि जिले के विभिन्न इलाकों में जापानी फल की 60 फीसदी फसल बगीचों में ही बिक गई है। यह पिछले साल के मुकाबले करीब 20 फीसदी अधिक है। पिछले साल करीब 40 फीसदी फसल का सौदा बगीचों में हुआ था। स्थानीय समेत यूपी, बिहार से आए व्यापारी घर द्वार पहुंच कर जापानी फल खरीद रहे हैं।
जापानी फल का तुड़ान अगस्त के आखिरी में शुरू होता है और दिसंबर तक सीजन चालू रहता है। घर बैठे बागवानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं। जानकारी के मुताबिक व्यापारियों ने बागवानों के साथ 1,000 रुपये क्रेट के हिसाब से फसल का सौदा किया है। जिले के निचले क्षेत्रों में सात साल से जापानी फल भी बड़े स्तर पैदा किया जा रहा है। करीब 216 हेक्टेयर भूमि पर फल की पैदावार होती है। करीब 702 टन फल का उत्पादन हो रहा है।
बताया जा रहा है कि व्यापारी सबसे ज्यादा तरजीह फूयू किस्म के फल को खरीदने को दे रहे हैं। इस वैरायटी के फल के दाम मंडियों में बेहतर मिल रहे हैं। व्यापारी दिलीप ठाकुर ने बताया कि उन्होंने कुल्लू जिले के विभिन्न इलाकों में जापानी के कई बगीचों के सौदे किए हैं। इसके अलावा बाहरी राज्यों के कई व्यापारियों ने भी फल का सौदा किया है। बागवानों ने कहा कि कुछ दिनों के बाद व्यापारी नेट का प्रयोग भी पौधों पर लगे फल को महफूज और फलों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए करेंगे।
अनूप भंडारी, दुनी चंद, केहर सिंह, अनीश ठाकुर और वेदराम ने बताया कि यूपी, बिहार सहित लोकल व्यापारियों ने यहां दस्तक दी है और फल खरीद कर रहे हैं। कुल्लू जिले की आबोहवा जापानी फल के लिए बेहतर है। जापानी फल समुद्र तल से 1000 से 1650 मीटर तक की ऊंचाई पर आसानी से उगाया जा सकता है। जापानी फल की फूयू, हैचिया, हयाक्यूम और कंडाघाट आदि किस्में हैं, लेकिन फूयू किस्म के फल की मांग मंडियों में अधिक रहती है, लिहाजा बागवान इसका अधिक उत्पादन कर रहे हैं। – डॉ. बीएम चौहान, बागवानी उपनिदेशक कुल्लू