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कालका से शिमला ऐतिहासिक रेल ट्रैक पर चलने वाली रेल मोटर कार के विकल्प पर चलाए जाने वाली नवनिर्मित व सभी आवश्यक सुविधाओं से पूर्ण ट्रेन सेट के तीन परीक्षण असफल हो गए हैं। कालका-शिमला ट्रैक पर 16 फरवरी को किए गए पहले ट्रायल में ट्रेन मात्र 500 मीटर ही चल पाई थी और दूसरा ट्रायल 19 फरवरी को जिसमें कालका से टकसाल रेलवे स्टेशन पहुंच कर इंजन गर्म हो गया। इसके अतिरिक्त 22 फरवरी को तीसरे ट्रायल में ट्रेन को कोटी रेलवे स्टेशन तक आना था परंतु टेक्निकल समस्याओं के चलते स्पेशल ट्रेन केवल गुम्मा रेलवे स्टेशन तक का ही सफर तय कर पाई। इसके ट्रायल के लिए आईआरडीएसओ की टीम लखनऊ से आई हुई थी जो कि गुरुवार को वापस लौट गई।
बता दें इस टीम ने ट्रेन सेट ट्रायल पूरा होने पर इसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपनी थी। गौरतलब है कि कालका-शिमला ऐतिहासिक रेल ट्रैक पर चलने वाली इस ट्रेन सेट यानी सेल्फ प्रोपेट हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट देश की पहली ट्रेन है जिसमें वर्तमान समय में जो भी आवश्यक सुविधाएं यात्रा को चाहिए होती है वे सभी इस ट्रेन के सभी कोचों में हैं। यह भारत में चलने वाली पहली स्पेशल ट्रेन है और जिसके अंदर लगभग सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं चाहे वह फस्र्ट एड किट की बात करें, पैनिक स्विच की बात करें, डेस्टिनेशन बोर्ड की बात करें, ऐसी हीटर, सीसीटीवी कैमरा, मोबाइल चार्जर, केबल
माइक्रोफोन और अन्य सुविधाएं मौजूद है। इस ट्रेन में तीन कोच हैं जो कि सभी आपस में एक दूसरे के साथ कनेक्ट हैं। उधर इस विषय को लेकर पूछे जाने पर कालका सीनियर सेक्शन इंजीनियर ईश्वर लाल नेगी ने बताया कि इसमें डीजल इंजन नीचे लगा होने के चलते उसमें हवा न लगने के कारण इंजन गर्म हो रहा है। कालका सीनियर सेक्शन इंजीनियर ईश्वर लाल नेगी ने बताया कि इस बारे आगे जो भी आदेश होंगे उसी आधार पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।