कांग्रेस के बाद
कांग्रेस के बाद भाजपा ने भी कांगड़ा को झटका दिया है। मजबूत दावे के बावजूद कांगड़ा को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष पद नहीं दिया। विस चुनाव के परिणाम के बाद संभावना जताई जा रही थी कि नेता प्रतिपक्ष का पद कांगड़ा को देकर भाजपा गलती सुधार लेगी, लेकिन यह पद मंडी जिले को मिला। सुरेश कश्यप के इस्तीफे के बाद लग रहा था कि अब प्रदेशाध्यक्ष पद कांगड़ा को मिलेगा, लेकिन यह पद सोलन जिले को मिल गया। वहीं, विस चुनाव में कांग्रेस को जीत के सिंहासन पर बैठाने वाले कांगड़ा को कांग्रेस ने भी तवज्जो नहीं दी है। कांग्रेस को चुनाव में 40 सीट मिलीं। उनमें अकेले कांगड़ा से 10 सीटें हैं।
सुक्खू सरकार ने 7 मंत्री बनाए हैं। इनमें कांगड़ा को सिर्फ एक पद मिला है। हर सरकार में कांगड़ा जिले को तीन से चार मंत्री मिलते थे। विस चुनाव में भाजपा को कांगड़ा जिले में 15 में से 4 सीटें मिली थीं। अधिकतर सीटें भाजपा ने बगावत के कारण गंवाई थीं। कई वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी से लगातार सियासी माहौल नकारात्मक हो गया था। उधर, कांगड़ा जिले में भाजपा और कांग्रेस के कई नाराज नेता सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं। अंदरखाते नाराज नेता कई सियासी कूटनीतियों का हिस्सा बन रहे हैं। कांग्रेस के कई विधायक तो जिले के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। भाजपा के कई नेता भी प्रमुख कार्यक्रमों में आने से परहेज कर रहे हैं।