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कांगड़ा: पिछली सरकार में हाशिए पर रहा एयरपोर्ट का विस्तारीकरण

मोनिका शर्मा, धर्मशाला

हिमाचल की सियासत में चर्चा का मुख्य बिंदु बना गगल एयरपोर्ट फिर सुर्खियों में है। पिछली सरकार में इस परियोजना पर ज्यादा काम नहीं हो पाया है। सीएम जयराम ठाकुर ने हमेशा बल्ह एयरपोर्ट को तवज्जो दी है। कई मौकों पर वह गगल एयरपोर्ट विस्तारीकरण पर कुछ भी कहने से कतराते रहे हैं।

ऐसे में सवाल यह है कि आखिर नई सरकार में इस परियोजना का क्या होगा, तो इसका जवाब है कि तीन मुख्य बिंदु इस परियोजना की दिशा और दशा तय करने जा रहे हैं। पुरानी सरकार रिपीट होती है, तो पिछले पांच साल की तरह इस परियोजना की गति रहती है। दूसरा यह कि सरकार रिपीट हो जाए और सीएम बदल जाए, तो नए सीएम का इस परियोजना केा लेकर रहने वाला रुख देखना होगा। तीसरा बिंदु यह है कि सरकार बदलती है, तो कांग्रेस का रुख इस परियोजना को तय करेगा। कुल मिलाकर गगल के साथ साथ दर्जनों गांव इस परियोजना से प्रभावित होंगे।

गगल एकमात्र जगह है, जिसे तीन बड़े प्रोजेक्ट एयरपोर्ट, फोरलेन और आईटी पार्क प्रभावित करने वाले हैं। फोरलेन की बात करें, तो राजोल से लेकर घुरकड़ी तक का क्षेत्र डी-स्कोप है। यानी एयरपोर्ट के विस्तार के बाद ही यह तय हो पाएगा कि फोरलेन कब और कहां से बनना है। इसी तरह आईटी पार्क को लेकर भी अभी कोई साफ बात सामने नहीं आ पाई है। कुल मिलाकर राजोल से लेकर घुरकड़ी तक हजारों की आबादी असमंजस में है। कुल मिलाकर गगल एयरपोर्ट के विस्तारीक रण पर सस्पेंस कायम है।

विस्तारीकरण के मजबूत पक्ष

गगल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण में कई मजबूत पक्ष हैं। इनमें सबसे पहला जिला मुख्यालय धर्मशाला का नजदीक होना है। इसके अलावा मैक्लोडगंज से निर्वासित तिब्बति सरकार चलती है। इस कारण गगल एयरपोर्ट व्यस्त रहता है। तीसरा कारण बीड़ बिलिंग है। चौथा कारण धर्मशाला में स्टेडियम और इस शहर में होने वाले नेशनल इवेंट हैं। हाल ही में महिला विधायकों, मुख्य सचिवों जैसे बड़े इवेंट धर्मशाला हुए हैं। यही कारण है कि गगल एयरपोर्ट के विस्तार को समय की मांग बताया जा रहा है।

एयरपोर्ट का सफर

15 अक्टूबर 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सरकार द्वारा इसकी आधारशिला रखी थी। वर्ष 1990 में यहां पहली बार वायुदूत की विमान सेवा द्वारा विमान उतारा गया।

वर्ष 2001 में गगल हवाई पट्टी का विस्तार किया गया। वर्ष 2013 में फिर विस्तार की चर्चा शुरू हुई। वर्ष 2015 में फिर सर्वे हुआ। वर्ष 2019 में पट्टी को 1372 मीटर से बढ़ाकर 3110 मीटर तक करने का प्रस्ताव रखा गया। साल 2020 कोरोना के कारण यह सब कार्यवाही बंद हुई। मार्च 2022 में फिर से विस्तार की चर्चाएं रहीं। अभी विस्तारीकरण की बातें चल रही हैं। नतीजा जनता के सामने है।

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