मोनिका शर्मा, मसरेहड़ (धर्मशाला)
ख़बर आज तक की टीम ने जिला मुख्यालय धर्मशाला के गांवों का दौरा करके लंपी वायरस को लेकर पड़ताल की। ख़बर आज तक की टीम सबसे पहले ढगवार पंचायत के मट गांव में पहुंची। वहां रिशु नामक पशुपालक के मवेशीखाने में देखा तो उनकी दो गाय लंपी वायरस से ग्रसित थीं।
रिशु ने बताया कि दो माह पहले उनके दुधारू गाय को यह रोग लगा था। अब हालात गंभीर हो गए हैं। पशु तड़प रहे हैं। दूध निकालना तो दूर, उनकी जान बचाना कठिन हो गया है। इन पशुओं की कीमत लाखों में है। उनका अब तक बीस हजार इस बीमारी पर खर्च हो चुका है। वह कहते हैं कि उनके जैसे कई पशुपालक हैं,जिनके पशुओं की मौत हो चुकी है। विभाग, प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वे पशुपालकों की मदद करें। रिशु के जैसे ही दर्दनाक कहानी है मसरेहड़ मस्तराम और शुभकरण की।
इन दोनों की गाय भी पिछले दो माह से लंपी वायरस से जूझ रही हैं। आलम यह है कि मस्तराम की गाय का दूध पीला पडऩे लगा है। हालांकि इन दोनों ने कहा कि विभाग के डाक्टर प्रार्थना करने पर पशुओं की देखभाल के लिए आते हैं। मसरेहड़ में बुधवार के दिन भी पशुपालन विभाग की टीम ने दौरा किया है। इसके बाद टीम ने भडवाल, घणा, बगली, सकोह, चैतड़ू आदि गांवों से भी फीडबैक ली, तो कई पशुपालकों ने अपना दर्द बताया। मंदल पंचायत के प्रधान व प्रमुख किसान नेता रणजीत सिंह ने कहा कि लंपी वायरस से निपटने में विभाग नाकाम रहा है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि इन पीडि़त पशुपालकों को मुआवजा दिया जाए।
क्या कहते हैं डिप्टी डारेक्टर
एनिमल हसबैंडरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर संजीव धीमान ने कहा कि जिला भर में अभी 10 हजार एक्टिव केस हैं। अब तक 35 हजार 212 पशु बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं। कुल वैक्सीनेशन 36 हजार के करीब हो चुकी है। कुल 22474 पशु बीमारी से ठीक हो चुके हैं। बहरहाल विभाग के दावों के उलट अभी लंपी वायरस कोहराम मचा रहा है।