कांगड़ा चाय उत्पादकों
कांगड़ा चाय उत्पादकों के दिन फिरने वाले हैं। कांगड़ा चाय को अब भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) का दर्जा मिल गया है। कांगड़ा चाय को जीआई टैग यूरोपियन यूनियन से मिला है। इससे कांगड़ा चाय उत्पादकों की आर्थिकी मजबूत हो सकती है। हालांकि, अभी तक इस टैग की जानकारी यूरोपियन यूनियन के टि्वटर हैंडल से मिली है।
अंदेशा जताया गया है कि प्रदेश सरकार की ओर से इसकी अधिकारिक सूचना दो तीन दिन में आ सकती है। जानकारी के अनुसार बुधवार को यूरोपियन यूनियन के टि्वटर हैंडल में यह ट्वीट किया गया कि कांगड़ा चाय को जीआई टैग दिया गया है। इससे अब कांगड़ा चाय के उत्पादकों के दिन अच्छे आने वाले हैं।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश कृषि विभाग एवं हिमाचल प्रदेश काउंसिल ऑफ सांइस टेक्नोलॉजी इन्वायरनमेंट शिमला (हिमकोज) के साथ करीब पिछले दो साल से कांगड़ा चाय को जीआई टैग दिलाने में लगा था। कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिलने पर अब इसकी खुशबू यूरोप के देशों में बिखरेगी। कांगड़ा चाय की बात करें तो अब तक कांगड़ा से करीब चार हजार किलोग्राम चाय का निर्यात कोलकाता में होता है।
अब जीआई टैग मिलने से कांगड़ा चाय उत्पादक अपनी चाय का सीधा यूरोपियन देशों में निर्यात कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो यूरोपियन यूनियन के मानकों पर खरा उतरने के बाद ही कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिला है। उधर, एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें भी कांगड़ा चाय को जीआई टैग मिलने का पता यूरोपियन यूनियन टि्वटर हैंडल से चला है। इसकी दो तीन दिन में शिमला से आधिकारिक सूचना भी जारी कर दी जाएगी।