करुणामूलक संघ
बुधवार करुणामूलक संघ की गूगल मीट के माध्यम से मीटिंग हुई, जिसमें सभी जिलों के करुणामूलक परिवारों ने हिस्सा लिया। संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि संघ ने करुणामूलक् परिवारों के हक की लड़ाई पहले भी लडी थी और आगे भी लड़ने के लिए तैयार है। संघ पूर्व सरकार के समय 432 दिन की क्रमिक भूख हड़ताल शिमला समीप कालीबाडी बर्षाशालीका में कर चुका है। इस संघर्ष में बहुत से परिवारों को राहत मिली थी।
करुणामूलक् संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि जब किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है, तो परिवार में अगर कोई नौकरी के लिए आवेदन करता है, तो उस परिवार की पेंशन एक तिहाई वैसे भी हो जाती है और जिन परिवारों ने फुल पेंशन ली होती है वो नौकरी के लिए आवेदन नही कर पाते हैं। इसीलिए सरकार से निवेदन है कि वैसे भी इन परिवारों को एक तिहाई पेंशन मिलती है और अब सरकार इस एक तिहाई पेंशन पर केंची न चलाए, क्योंकि आज तक जितनी भी भर्तियां हुई है पेंशन के साथ छेड़छाड़ किये बिना हुई है। और आगे भी जो भी भर्तियां हो पेंशन में छेड़छाड़ किये बिना हो, पेंशन में छेड़छाड़ करने से बेहतर है सरकार आय सीमा बढ़ाने पर विचार करे और बहुत से टेकनिकल पॉइंट है उनको हटाने पर विचार करे।
अगर सरकार आय सीमा बढ़ाती है और टेकनिकल प्वाइंट पर विचार करके उन्हे हटाती है, तो संघ इस फैसले पर सरकार का समर्थन करेगा। और अगर सरकार एक तिहाई पेंशन में भी छेड़छाड़ करने की सोच रही है, तो संघ अपना संघर्ष तेज करेगा। प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि सरकार करुणामूलक संघ की राज्य कार्यकारिणी को बार्ता को बुलाये तभी करुणामूलक नौकरी बहाली मुद्दे में कोई निष्कर्ष निकलेगा। अजय कुमार ने ये भी कहा कि जब 2017 में कांग्रेस की सरकार थी तब भी सरकार नें पेंशन को आय सीमा में न जोड़कर बिना किसी शर्त के अपने चहेतों को नौकरी दी थी। तब क्यों नही ऐसा विचार लाया गया तो अब क्यों सरकार इन परिवारों के साथ दोगला व्यावहार कर रही है।सरकार करुणामूलक नौकरी बहाली में बिना दोगले व्यावहार किये हुए स्थिति सपष्ठ करे और संघ को बजट खत्म होते ही वार्ता के लिए बुलाए।