मोनिका शर्मा, धर्मशाला
कांगड़ा में 26 जनवरी के उपलक्ष्य पर सालाना क्रिकेट टूर्नामेंट होता है। इसमें देश के नामी खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। बात 1994 की है। धर्मशाला की मजबूत टीम का इच्छी गांव की क्रिकेट टीम से फाइनल मुकाबला था। स्नो क्लब के नाम से बनी इस टीम को निशु मोंगरा लीड कर रहे थे। विकेटकीपर बैटसमैन के तौर पर स्कोर चेज कर रही इच्छी की टीम को अंतिम गेंद पर छह रन चाहिएं थे।
निशु मोंगरा ने अंतिम गेंद पर सिक्सर लगा दिया। उस दौर में पहली बार यह संदेश गया कि देहात के युवाओं मेें भी क्रि केट जैसे खेल में आगे बढऩे की हिम्मत है। बाद में निशु मोंगरा से सीख पाकर कई खिलाड़ी आगे बढ़े। आज निशु मोंगरा कांगड़ा में कांग्रेस के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते हैं। निशु मोंगरा पलम इलाके की बड़ी पंचायत इच्छी के रहने वाले हैं। चूंकि पवन काजल की भाजपा में घर वापसी हो गई है और कांगड़ा में एमएलए अब तक पलम का ही बना है। ऐसे में निशु मोंगरा पर सबकी नजर है।
अपनी फाइटिंग स्पीरिट के लिए मशहूर निशु मोंगरा ने कांगड़ा शहर से चलने वाले जेटीएस से पढ़ाई की है। समय के साथ निशु मोंगरा साल 2006-11 के बीच बीडीसी के चेयरमैन भी रहे। साल 2007 में भाजपा की सरकार आई तो पूरे प्रदेश में कई जगह बीडीसी में नो कोन्फिडेंस आने लगे। उस दौर में निशु मोंगरा ही एकमात्र बीडीसी चेयरमैन थे, जिन्होंने अपनी सीट बचाए रखी। यही एक समय ऐसा आया, जब कांगड़ा ब्लाक को मनरेगा में पूरे देश में अव्वल आंका गया।
उस समय निशु मोंगरा को ही यह राष्ट्रीय स्तर इनाम पाने का श्रेय मिला था। मई 16, 1973 को इच्छी गांव में जन्में निशु मोंगरा को कांग्रेस के सबसे फाइटर नेता के रूप में जाना जाता है। निशु मोंगरा ने कहा कि अगर पार्टी मौका देती है, तो वह जरूर चुनाव लडेंगे। बहरहाल अब यह कांग्रेस हाइकमान को देखना है कि वह किसे मौका देती है।