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ऐतिहासिक टाउनहॉल भवन में नगर निगम महापौर से मिलने के लिए अब लोगों को लाल बत्ती बुझने का करना पड़ेगा इंतजार

ऐतिहासिक टाउनहॉल भवन

ऐतिहासिक टाउनहॉल भवन में नगर निगम महापौर से मिलने के लिए अब लोगों को लाल बत्ती बुझने का इंतजार करना पड़ सकता है। नगर निगम ने महापौर दफ्तर के दरवाजे पर लाल और हरी बत्ती लगा दी है। मंगलवार से महापौर कार्यालय में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। हालांकि, इस व्यवस्था के साथ ही राजधानी में सियासत भी गरमा गई है। उप महापौर उमा कौशल के कार्यभार संभालने पर उन्हें बधाई देने के लिए कई वर्तमान और पूर्व पार्षद मंगलवार को टाउनहॉल पहुंचे थे। महापौर दफ्तर के बाहर बत्ती व्यवस्था देखने के बाद ये हैरान रह गए।

इनका कहना है कि कांग्रेस नगर निगम में वीआईपी कल्चर लागू कर रही है। भाजपा पार्षदों का कहना है कि पिछले पांच साल के दौरान भाजपा के दो महापौर टाउनहॉल में बैठे, लेकिन किसी ने ऐसे वीआईपी कच्लर को लागू नहीं किया। पार्षद सरोज ठाकुर ने कहा कि ऐसी व्यवस्था गलत है। यदि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही ऐसी व्यवस्था लागू करेंगे तो शहर की जनता किसके पास अपनी परेशानियां लेकर जाएगी। पूर्व उप महापौर राकेश शर्मा ने कहा कि मेयर कार्यालय में लालबत्ती लगाने से शहर का विकास नहीं होगा। कहा कि पीएम मोदी ने नेताओं की गाड़ियों तक से बत्तियां उतरवा दी थी। लेकिन कांग्रेस शासित नगर निगम अब ऐसे वीआईपी कल्चर को बढ़ावा दे रहा है। मेयर को इस फैसले के बारे में सोचना चाहिए।

पूर्व महापौर कुसुम ने भी लगवाई थी बत्ती, उतारनी पड़ी भाजपा शासित नगर निगम की पहली महापौर रहीं कुसुम सदरेट ने भी उपायुक्त कार्यालय परिसर में बने मेयर कार्यालय में ऐसी व्यवस्था लागू की थी। लेकिन विरोध के कारण उतारनी पड़ी थी। सिर्फ बैठकों के लिए इस्तेमाल शहर के विकास कार्यों और जनता की समस्याओं पर महापौर दफ्तर में कई बार अफसरों की बैठकें लेनी पड़ती हैं। सिर्फ इसके लिए यह व्यवस्था की है। बाकी आम जनता से कोई दूरी नहीं है। शहरवासी कभी भी उनके पास आकर मिल सकते हैं, अपनी समस्याएं बता सकते हैं। -सुरेंद्र चौहान, महापौर नगर निगम शिमला महापौर कार्यालय में लग सकती है लालबत्ती बैठकें आदि करने के लिए महापौर कार्यालय पर लाल और हरी बत्ती लगाई जा सकती है। कांग्रेस के कई पूर्व महापौर ऐसी व्यवस्था लागू कर चुके हैं। हालांकि, साल 2012 में माकपा के महापौर संजय चौहान ने इस व्यवस्था को खत्म किया था। बाद में भाजपा ने भी इस व्यवस्था को जारी रखा।

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