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ईडब्ल्यूएस के बच्चों को पहली कक्षा में सभी निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आरक्षित 

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ईडब्ल्यूएस के बच्चों

शिक्षा का अधिकार के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को पहली कक्षा में सभी निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आरक्षित हैं। हर स्कूल को आवेदन आने पर इन सीटों को भरना अनिवार्य किया गया है, मगर राजधानी शिमला के निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की सीटों के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है।

इस बात को निजी स्कूलों के प्रबंधकों और प्रिंसिपलों ने शुक्रवार को निदेशक प्रारंभिक शिक्षा घनश्याम चंद की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्वीकार किया। निदेशक ने सभी निजी स्कूलों को इन आरक्षित सीटों को भरने के लिए अभिभावकों को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर प्रवेश लेने वाले छात्र के लिए सरकार निजी स्कूलों को 3924 रुपये प्रति माह सहायता राशि देती है। निदेशालय में शुक्रवार को इस मामले पर बैठक की।

इसमें उप निदेशक उच्च व प्रारंभिक शिक्षा अशोक शर्मा के साथ 15 बड़े निजी स्कूलों के प्रधानाचार्य शामिल हुए। प्रधानाचार्यों ने कहा कि वह ऐसे पात्र विद्यार्थियों को प्रवेश देने के लिए तैयार हैं। डीएवी लक्कड़ बाजार, डीएवी न्यू शिमला, एसडी स्कूल गंज बाजार, दयानंद पब्लिक स्कूल, शिमला पब्लिक स्कूल खलीनी, सरस्वती पैराडाइज इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के प्रतिनिधि मौजूद रहे। प्रधानाचार्यों ने आम लोगों से आह्वान किया कि वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंध रखने और प्रमाणपत्र प्राप्त होने पर उनके स्कूल में पहली कक्षा में प्रवेश को आवेदन कर सकते हैं।

आरक्षित सीटों पर प्रवेश को लेकर निजी स्कूल करें प्रचार 

घनश्याम चंद ने सभी निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत कोटे के अंतर्गत प्रवेश से संबंधित जानकारी आम जनता तक पहुंचाने के लिए इसे नोटिस बोर्ड, स्कूल के आसपास बैनर के माध्यम से प्रचार करने के लिए कहा।

निजी स्कूलों को पीटीए की आम सभा में पारित करवानी होगी फीस 

उपनिदेशक उच्च व प्रारंभिक शिक्षा अशोक शर्मा ने शहर और जिलाभर के स्कूल संचालकों, प्रबंधकों को निर्देश दिए कि वह नए सत्र के लिए पीटीए की आम सभा करवाकर फीस तय करें और इसे अभिभावकों की सहमति से लागू करें। फीस से संबंधित हर जानकारी स्कूल नोटिस बोर्ड और अभिभावकों के साथ साझा करनी होगी। बिना पीटीए की सहमति से फीस बढ़ाने की शिकायत आने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

27 मार्च तक मांगा ब्योरा

शहर के निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को दिए प्रवेश का उपनिदेशक ने 27 मार्च तक ब्योरा मांगा है।

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