हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से आई आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार ने आपदा राहत कोष की स्थापना की है। आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं आपदा राहत कोष में दान कर रही हैं। 22 जुलाई तक 16.50 करोड़ रुपए से अधिक का अंशदान इस राहत कोष में प्राप्त हुआ है। वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी उपायुक्तों को राहत कार्यों के लिए 188.50 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि जुलाई के शुरुआत में आए प्रकृति के प्रकोप ने हिमाचल प्रदेश से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे देश को आगोश में ले लिया, परंतु भारी बारिश, भू-स्खलन और बाढ़ के कारण जितना खौफनाक मंजर हिमाचल ने देखा, शायद ही किसी अन्य राज्य ने देखा हो। फिर भी इस संकट का सामना करने में प्रदेशवासियों और राज्य सरकार ने मिलकर प्रदेश के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘अतिथि देवो भव:’ का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह प्राकृतिक आपदा दशकों में सबसे गंभीर परिणाम लाई है, जबकि राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बचाव एवं राहत कार्य चुनौतीपूर्ण रहे हैं।
सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिम्मेदारी के साथ पहले दिन से ही विभिन्न स्थानों में फंसे हुए लोगों को सकुशल निकालने के लिए अथक प्रयास आरंभ किए। बचाव कार्यों के सफलता से पूरा होने तक मुख्यमंत्री दिन-रात मंत्रिमंडल सहयोगियों और अधिकारियों के साथ बाढग़्रस्त क्षेत्रों में बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे थे। भारी बारिश, भू-स्खलन व बादल फटने के कारण नौ जुलाई को आई तबाही जैसे प्रकृति के सबसे कठोर प्रहारों के बावजूद सरकार लोगों की निरंतर मदद कर रही है। राज्य सरकार ने क्षतिग्रस्त घरों (कच्चे और पक्के मकानों) और दुकानों को ऐसी आपदा के समय में दिए जाने वाले मुआवजे को बढ़ाकर एक लाख रुपए करके विशेष मापदंड अधिसूचित किए हैं। सामान के नुकसान के एवज में दस गुणा बढ़ोतरी कर 10000 रुपए के स्थान पर अब एक लाख रुपए प्रदान किए जा रहे हैं। मानवीय दृष्टिकोण का आदर्श स्थापित करते हुए अन्य क्षेत्रों में भी इतनी ही बढ़ोतरी की गई है।