आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने मांगों को लेकर मंगलवार को एमसी पार्क ऊना में प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी की। उन्होंने ग्रेच्युटी की पात्रता को लेकर मंगलवार को उपायुक्त के माध्यम से केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री को ज्ञापन सौंपा। संघ की जिला प्रधान नरेश कुमारी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को श्रमिकों के रूप में माना जाना चाहिए। वे ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि यह फैसला आए एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को उनका हक अभी तक नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि विभाग सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने से कतरा रहा है। देश के लिए शर्म की बात है कि जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ को अमृत काल के रूप में मना रहे हैं। ऐसे में देश को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए सेवा करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं घर-घर तक सेवाएं पहुंचा रही हैं। इसके बावजूद 1975 के बाद से अभी तक उन्हें श्रमिकों के रूप में मान्यता नहीं दी गई है।
श्रमिकों और कर्मचारियों के रूप में न्यूनतम वेतन या किसी अन्य वैधानिक हकदारी का भुगतान नहीं किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा और पेंशन पर 45वें और 46वें आईएलसी की सर्वसम्मत सिफारिशों को लंबे समय से मंत्रालय दरकिनार कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (आइफा) के बैनर तले आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पहली वर्षगांठ पर प्रदर्शन किया। इस दौरान अनुराधा, शारदा, पुष्पा देवी सहित अन्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहे।