अस्थायी शिक्षकों
अस्थायी शिक्षकों की भर्ती करने का प्रस्ताव सोशल मीडिया पर वायरल होने के मामले में प्रदेश सरकार ने जांच बैठा दी है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों और कर्मचारियों से इस बाबत जवाबतलबी की जाएगी। शिक्षकों के 3,104 पद अस्थायी तौर पर भरने का प्रस्ताव 26 अप्रैल को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को खुद इसका खंडन करना पड़ा। शुक्रवार को इस मामले पर संज्ञान लेते हुए गुप्त रखे गए प्रस्ताव को सार्वजनिक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सब कमेटी को शिक्षकों की अस्थायी भर्ती का प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में कहा गया था कि प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज के क्षेत्रों में 3,104 जेबीटी, टीजीटी, कला और शास्त्री शिक्षक दो से तीन वर्ष के लिए भर्ती होंगे। नियमित शिक्षकों की नियुक्ति होने पर इनकी सेवाएं समाप्त होंगी। दसवीं, बारहवीं कक्षा सहित बीएड और डीएलएड के अंकों के आधार पर इन शिक्षकों का चयन किया जाएगा। प्रस्ताव में अस्थायी शिक्षकों की भर्ती के लिए टेट पास होना जरूरी रखा था। शिक्षकों के जिला कैडर के पदों की भर्ती शिक्षा उपनिदेशक और राज्य कैडर के पदों की भर्ती निदेशक के माध्यम से करने की बात कही गई थी।
इस प्रस्ताव को कैबिनेट सब कमेटी की 27 अप्रैल को प्रस्तावित बैठक में चर्चा के लिए रखा जाना था। इससे पहले 26 अप्रैल की सुबह यह प्रस्ताव सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। प्रस्ताव में अस्थायी शिक्षकों के चयन के लिए अंकों का निर्धारण भी किया गया था। शिक्षा मंत्री और सचिव ने अधिकारियों से की चर्चा शुक्रवार को इस मामले में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और शिक्षा सचिव अभिषेक जैन ने विभागीय अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की। कौन-कौन अधिकारी और कर्मचारी इस प्रस्ताव को तैयार कर रहे थे? किस-किस को इसकी जानकारी थी? इन सभी बिंदुओं को लेकर जानकारी जुटाने को कहा गया है। शिक्षा मंत्री ने प्रारंभिक और उच्च शिक्षा निदेशकों को यह जानकारी देने के लिए कहा गया है। किस स्तर पर लापरवाही हुई, इसकी पड़ताल कई माध्यमों से की जा रही है।