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स्वास्थ्य विभाग की मानें तो 30 से 36 विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जानी है। इन मेडिकल कॉलेजों में गायनी, आर्थोपेडिक्स, सर्जरी, पीडियाट्रिक्स, रेडियोलॉजिस्ट के पदों को भरा जाना है। इन पदों के भरे जाने से जहां आईजीएमसी और टांडा मेडिकल पर मरीजों का कम भार पड़ेगा, वहीं मरीजों को भी नजदीक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। गौर हो कि इन मेडिकल कॉलेजों में आधारभूत ढांचा विकसित किया जा रहा है। लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए इनमें मशीनरी और उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। पहले की अपेक्षा बेड की क्षमता को भी बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में इन कॉलेजों में अध्यापन चिकित्सा स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की जा रही है। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों चंबा, हमीरपुर, नेरचौक और नाहन में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती होगी। इसे लेकर प्रदेश सरकार ने मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती करने के आदेश दिए हैं। यह नियुक्तियां वॉक इन इंटरव्यू के माध्यम से होंगी। योग्यता के आधार पर इनकी तैनाती की जानी है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी और टांडा की अपेक्षा इन चारों मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी चल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से इन पदों को भरने की पहल की जा रही है।
इसे लेकर प्रधानाचार्य को वॉक इन इंटरव्यू करने के निर्देश दिए गए हैं। बाहरी राज्यों में सेवाएं देना पसंद करते हैं विशेषज्ञस्वास्थ्य विभाग का मानना है कि विशेषज्ञ डॉक्टर हिमाचल की अपेक्षा बाहरी राज्यों में सेवाएं देना पसंद करते हैं। इसका कारण बाहरी राज्यों में ज्यादा पैकेज मिलना बताया जा रहा है। वहीं, कई स्पेशलिस्ट डॉक्टर सेवानिवृत्ति के बाद अपना काम शुरू कर देते हैं। ऐसे में यह डाॅक्टर सरकारी क्षेत्र में चिकित्सा सेवाएं देना पसंद नहीं करते हैं।