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अदालत ने दूरदराज के क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की तैनाती नहीं करने पर लिया कड़ा संज्ञान

अदालत ने दूरदराज

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनावी स्टंट और नौटंकी के तरीके से दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षण संस्थान खोलना उचित नहीं है। सरकार की किसी घोषणाओं से आम जनता की आकांक्षाएं और विश्वास जुड़ा होता है। जिस संस्थान में शिक्षक ही तैनात न किए गए हों, सही मायने में वह कोई शिक्षण संस्थान नहीं हो सकता है। अदालत ने दूरदराज के क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की तैनाती नहीं करने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत खंडपीठ ने राज्य सरकार से 26 जून तक अनुपालना रिपोर्ट तलब की है। वहीं, अदालत ने ऐसे संस्थानों में शहरों के भीड़-भाड़ वाले शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों की तैनाती करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने चौपाल में कुपवी के डिग्री कॉलेज में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि प्रदेश के शहर के शिक्षण संस्थानों में आवश्यकता से अधिक शिक्षकों की तैनाती की गई है। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि सरकार शहर के उन शिक्षकों को प्रदेश के दूर दराज के संस्थानों में तैनाती दे सकती है, जिन्होंने अपना सामान्य कार्यकाल पूरा कर लिया है। अदालत ने सरकार की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन कर पाया कि कुपवी डिग्री कॉलेज में शिक्षकों के आठ पद स्वीकृत हैं, जो खाली हैं। इसी तरह गैर-शिक्षकों के 10 पद स्वीकृत है। इनमें से केवल चपरासी के तीन और चौकीदार के दो पद भरे गए हैं। दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर अदालत ने संज्ञान लिया है।

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