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हिमाचल में होगी मुलेठी की खेती, मार्च के अंत में होगा पौधरोपण 

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हिमाचल में होगी मुलेठी 

हिमाचल प्रदेश में अब मुलेठी की खेती की जाएगी। मार्च के अंत में पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। योजना के तहत छह जिलों में एक हजार के करीब मुलेठी के पौधे लगाए जाएंगे।

इसके लिए पायलट स्तर पर योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत हिमाचल प्रदेश के छह जिलों को शामिल किया गया है। इसमें हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, सोलन, ऊना और सिरमौर जिला शामिल हैं। जिला हमीरपुर के नादौन का क्षेत्र और जिला ऊना के साथ लगते क्षेत्र को चयनित किया गया है। हिमाचल प्रदेश में पहली बार मुलेठी की खेती की जाएगी। इसमें हरियाणा एचएम वन वैरायटी का प्लांटिंग मैटीरियल तैयार किया गया है। इस योजना के तहत जिला ऊना का क्षेत्र बहुत उपयुक्त पाया गया है। इस वर्ष ट्रायल आधार पर चयनित क्षेत्रों में मुलेठी के पौधे लगाए जाएंगे। वर्ष 2026 में यह फसल तैयार हो जाएगी। तीन साल में मुलेठी की फसल तैयार हो जाती है।

मार्च के अंत में पौधरोपण

योजना के तहत मार्च के अंत में पौधरोपण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। योजना के तहत छह जिलों में एक हजार के करीब मुलेठी के पौधे लगाए जाएंगे। किसानों को इसके लिए समय- समय पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। खास बात यह है कि मुलेठी की खेती पूरे देश में बहुत ही कम क्षेत्र में होती है। इस बार हिमाचल प्रदेश में पहली बार सुनियोजित ढंग से मुलेठी की खेती की जाएगी। हिमाचल प्रदेश में पहली बार किसान इस खेती को करेंगे। अगर ट्रायल सफल रहा तो बाद में अन्य जगहों पर भी मुलेठी की पैदावार हो सकेगी। मुलेठी में न केवल औषधीय गुण होते हैं, बल्कि यह किसानों की आर्थिकी को मजबूत करने में भी कारगर साबित हो सकती है। भारत में मुलेठी का आयात फारस की खाड़ी प्रधानता स्पेन, ईराक, साइबेरिया आदि देशों से होता है। इस समय भारत में पंजाब, कश्मीर, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश और कनार्टक में भी इसकी खेती की जा रही है।

हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिक डॉ. सतवीर सिंह, डॉ. रमेश चौहान और उनकी टीम मुलेठी प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के योजना अन्वेषक वैज्ञानिक डॉ. सतवीर सिंह, डॉ. रमेश चौहान ने कहा कि पायलट स्तर पर यह योजना शुरू की जा रही है। फसल को तैयार होने में तीन वर्ष लगते हैं। इसमें इसकी जड़ें इस्तेमाल की जाती हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को स्वयं ये पौधे खेतों तक उपलब्ध करवाए जाएंगे। वहीं, अन्य जो किसान इस योजना से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें योजना के तहत जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि मुलेठी एक बहुत लाभदायक पौधा है। मुलेठी एक झाड़नुमा पौधा है। इसकी जड़ें ही उपयोगी होती हैं। तीसरे वर्ष इसे खोदकर जड़ें निकाल ली जाती हैं। मुलेठी की फसल के लिए दोमट और रेतीली मिट्टी उपयुक्त है । अर्ध शीतोष्ण वातावरण काफी लाभदायक है।

मुलेठी से होने वाले लाभ

मुलेठी दुनियाभर में औषधीय लाभ के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों में से एक है। इसका इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेद के साथ-साथ चीनी दवाओं में भी प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। मुलेठी विटामिन-ए और ई से भरपूर होती है। इसके अलावा यह कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सेलेनियम, फास्फोरस, सिलिकॉन और जिंक जैसे खनिजों का भी अच्छा स्रोत है। मुलेठी का सेवन पाचन संबंधी समस्याओं, जैसे- सीने में जलन, पेट में अल्सर, पेट के अस्तर की सूजन आदि में भी फायदेमंद होता है। मुलेठी के गुण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार लाने, थकान या कमजोरी कम करने, मोटापे को कम करने में मददगार होता है।

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