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हिमाचल में मंडी मध्यस्थता योजना के तहत किन्नू-माल्टा के बी ग्रेड को भी मिलेगा इतना रेट, जानिए

सरकारी सेंटर्ज पर साढ़े 9 रुपए बिकेगा बी-ग्रेड संतरा
सी कैटागरी में आने पर बागबान को प्रति किलो 9 रुपए
गलगल के दाम 8 रुपए किलो तय, प्रदेश में बने 51 केंद्र
अकेले कांगड़ा जिला में 21 सेंटर्ज पर बेच सकेंगे फ्रूट

मोनिका शर्मा, धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश में बागबानों के लिए एक राहत भरी खबर है। हिमाचल में मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खट्टे फलों को बेचने का रास्ता साफ हो गया है। इस योजना के तहत 21 नवंबर से लेकर 15 फरवरी तक बागबान अपने फलों को सरकारी केंद्रों पर बेच पाएंगे। प्रदेश भर में इसके लिए 51 केंद्र बनाए गए हैं। ये केंद्र एचपीएमसी और हिमफैड के सौजन्य से स्थापित किए जाएंगे।

इस योजना के तहत खट्टे फलों की दो कैटागरी बनाई गई हैं। पहली कैटागरी में किन्नू, माल्टा और संतरा है। इन फलों को बी और सी ग्रेड में बांटकर बेचा जाएगा। सरकारी केंद्रों पर इन फलों में बी ग्रेड आने पर साढ़े 9 रुपए प्रति किलो मिलेंगे।

इन फलों में सी गे्रड के लिए 9 रुपए किलो मिलेंगे। दूसरी ओर गलगल के दाम 8 रुपए किलो तय किए गए हैं। सरकारी केंद्रों की बात की जाए, तो अकेले कांगड़ा जिला में 21 केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों को दो उपक्रमों के केंद्रों पर बेचा जाएगा। इनमें 11 केंद्र एचपीएमसी द्वारा बनाए जा रहे हैं, जबकि 10 केंद्र हिमफेड द्वारा बनाए जाएंगे। इन केंद्रों की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। बागबानी विभाग की तरफ से बागबानों से आग्रह किया गया है कि वे अपने फलों को नजदीकी केंद्रों में पहुंचाएं, ताकि उन्हें अपनी मेहनत का फल मिल सके।

कांगड़ा जिला में इन केंद्रों पर बिकेंगे फल
कांगड़ा जिला में एचपीएमसी के 11 केंद्र हैं। इनमें बैजनाथ, भोग्रवां,डाडासीबा, इंदपुर, जवाली, कंदरोड़ी, खुंडियां, नगरोटा सूरियां, परागपुर,शाहपुर व कस्बा कोटला में बनाए जा रहे हैं। हिमफेड के केंद्रों की बात की जाए, तो ये बनखंडी, भेडू महादेव,डाडासीबा, जाछ, ज्वालामुखी, लंज, लंबागांव, नगरोटा बगवां व रानीताल में होंगे।

प्रदेश में साढ़े 5 लाख बागबानों को राहत 
प्रदेश में साढ़े 5 लाख बागबान हैं। इनमें अकेले कांगड़ा जिला में डेढ़ लाख से ज्यादा हैं। बागबानी से प्रदेश में करीब 8 हजार करोड़ की आर्थिकी है। अमूमन कांगड़ा में ज्यादातर बागबानी जसूर, नूरपुर और इंदौरा आदि क्षेत्रों में है। इन इलाकों के बागबान अकसर पंजाब की मंडियों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में मंडी मध्यस्थता योजना बागबानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है।

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