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बरमाणा एसीसी सीमेंट फैक्टरी अनिश्चित काल के लिए बंद, कर्मचारियों और कामगारों को काम पर न आने का फरमान जारी।।

बिलासपुर: बिलासपुर ज़िला के बरमाणा एसीसी सीमेंट फैक्टरी गुरुवार से अनिश्चित काल के लिए बंद हो गई गई है. वहीं फैक्ट्री पर ताला लग गया है. एसीसी प्रबंधन की ओर से कर्मचारियों और कामगारों को आज से काम पर न आने का फरमान भी जारी हुआ है, जब तक हालात में सुधार नहीं आता तब तक काम पर न लौटे और आगामी आदेशों का इंतजार करने की बात कही है, वहीं सिर्फ आपातकालीन सेवाओं में सुरक्षा कर्मचारी, बिजली व पानी विभाग ही सेवाएं दी जा रही है। प्लांट हैड अमिताभ सिंह की ओर से यह आदेश जारी किए गए हैं।

अडानी सीमेंट इकाई प्रबंधन ने इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को भी दी है. सीमेंट इकाई प्रबंधन ने नोटिस में जारी किया है कि प्रिय कर्मचारी, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि परिचालन लागत (परिवहन और कच्चे माल की लागत) में वृद्धि और बाजार की मौजूदा स्थिति के कारण सीमेंट की ढुलाई में भारी कमी आई है। इसके परिणामस्वरूप सीमेंट का बहुत खराब प्रेषण हुआ। इससे हमारे बाजार हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और इसके परिणामस्वरूप कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रबंधन संयंत्र के संचालन और गग्गल सीमेंट प्लांट से संबंधित सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए मजबूर है। अतः सभी कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि अगले निर्देश तक तत्काल प्रभाव से ड्यूटी पर उपस्थित न हों। एसीसी प्रबंधन ने सभी से इस संबंध में सहयोग करने का अनुरोध किया है।

अब ट्रक परिवहन पर निर्भर बरमाणा से लेकर स्वारघाट तक छोटे छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यवसायियों पर भी असर पड़ेगा। एसीसी की गगल इकाई में 4000 ट्रकों के पहिए घूम रहे हैं वही उनके साथ जुड़े ट्रक चालक व परिचालक तथा मैकेनिक के अलावा एसीसी में 300 कर्मचारी काम वहीं 900 कामगार कांट्रेक्टर के अधीन जुड़ा है। वहीं एसीसी प्रबंधन पिछले कई दिनों से यह बात कह रहा था कि एसीसी की गगल इकाई घाटे में चल रही है और सुधार के संकेत भी नजर नहीं आ रहे है।

एसीसी की गगल इकाई 1984 से स्थापित को कुछ वर्ष पहले विदेशी कंपनियां होलसिम व लाफार्ज रन कर रही थी और अब अडानी समूह का हिस्सा बन गई हैं। अब सीमेंट्स कंपनियों व ट्रांसपोटरों के बीच तालमेल बनाने के लिए सुधार करने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन बात सिरे चढ़ती नजर नहीं आ रही है। बरमाणा एसीसी सीमेंट उद्योग जिले के साथ साथ राज्य के विकास में भी एक अहम रोल है और हिमाचल प्रदेश के अलावा आसपास के सीमावर्ती राज्यों में भी बड़ी संख्या में परिवार निर्भर है।

हालांकि वर्षों से इंडस्ट्री ने ट्रांसपोर्ट वैल्यू चेन का समर्थन किया लेकिन अब एसीसी की गगल इकाई से ट्रांसपोटरों को सही ढूलाई का कार्य न मिलने से इकाई के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे है। एसीसी गगल सीमेंट इकाई से सीमेंट की ढुलाई कर रहे ट्रांसपोर्टरों को पिछले कई दिनों से सही सीमेंट ढुलाई का कार्य नहीं मिल रहा है। बीडीटीएस अध्यक्ष जीतराम गौतम का कहना है कि उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और ट्रकों की लोन की किस्तें तथा परिवार का पालन पोषण करना मुश्किल हो रहा है।

इसके अलावा उन्होंने एसीसी कंपनी प्रबंधन को भी कोसते रहे कि कंपनी धीरे धीरे उनके काम को छीनकर बाहारी पार्टियों को दे रही है जोकि की सीधे तौर पर बीडीटीएस ट्रक ऑपरेटर्स और उनके परिवार का निवाला तक छीनने पर उतारू है। पहले एसीसी द्वारा 15000 मीट्रिक टन सीमेंट व क्लिंकर जिसमें 13000 मीट्रिक टन सीमेंट व दो हजार मीट्रिक टन क्लिंकर की डिमांड देने का अनुबंध था।

पिछले दिनों बीडीटीएस यूनियन के सदस्यों व एसीसी प्रबंधन का आपस में समझौता भी हुआ था कि प्रतिदिन बीडीटीएस यूनियन के ट्रकों को 08 हजार मैट्रिक टन सीमेंट व 02 हजार मीट्रिक टन क्लिंकर दिया जायेगा परन्तु समझौते के अनुसार इन्हें सीमेंट व क्लिंकर नहीं दिया जा रहा था।

बावजूद इसके एसीसी उससे आधे से भी कम डिमांड सभा को प्रदान कर रही है तथा इसमें भी लंबी दूरी की सारी डिमांड जो सभा को प्राप्त होती थी वह नाम मात्र सभा को दी जा रही है। इसके साथ ही ट्रक ऑपरेटर्स ने माल ढुलाई भाड़ा 11.41 रुपये देने की मांग की है जबकि एसीसी कंपनी 06 रुपये देने की बात कह रही है। वहीं एसीसी कंपनी पर ताला लगने के बाद उपायुक्त बिलासपुर द्वारा एसीसी प्रबंधन व बीडीटीएस पदाधिकारियों के साथ बैठक की गयी है जो बेनतीजा रही और अब 20 दिसम्बर को दुबारा मीटिंग होगी।

 

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