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कांगड़ा किला में 30 मार्च को होगा कटोच वंश के 489वें राजा के तौर पर एश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक 

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कांगड़ा किला 

देश के सबसे पुराने किलों में शामिल कांगड़ा दुर्ग में 400 साल बाद राज्यभिषेक होने जा रहा है। नवमीं के दिन 30 मार्च को कटोच वंश के 489वें राजा के तौर पर एश्वर्य चंद कटोच का राजतिलक होगा। कांगड़ा दुर्ग में उनकी कुल देवी मां अंबिका के मंदिर में यह कार्यक्रम होगा। मौजूदा समय में एश्वर्य चंद कटोच लंबागांव राजघराने के टिक्का राज हैं। उनका राजतिलक होते ही शैलजा कुमारी कटोच को महारानी और उनके बेटे अंबिकेश्वर चंद्र को कटोच को टिक्का राज की उपाधि मिल जाएगी। इस कार्यक्रम में महाराजा एश्वर्य चंद कटोच एक पुस्तक का विमोचन भी करेंगे। इस पुस्तक का नाम है ‘कटोच’ ‘दि त्रिगर्त इंपायर’। इस कार्यक्रम के लिए उनकी माता चंद्रेश कुमारी ने कई हस्तियों को न्योता भेजा है। इस बारे में कांगड़ा कला एवं साहित्य संरक्षक राघव गुलेरिया ने बताया कि इस कार्यक्रम का बहुत महत्व है। ऐतिहासिक दुर्ग में होने वाले इस कार्यक्रम के बाद हिमाचल में पर्यटन को नई दिशा मिलेगी। बताया जाता है कि कांगड़ा दुर्ग में अंतिम राज्यभिषेक 1629 ईस्वी में हुआ था। यही कारण है कि इस राज्यभिषेक पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।

कटोच वंश का गौरवमयी इतिहास

कटोच वंश को दुनिया के सबसे पुराने राजघरानों में गिना जाता है। इनके पहले राजा भूमि चंद कटोच का जिक्र ज्वालामुखी के गोरख टिब्बी में है। इनके 234वें वंशज सुशर्म चंद्र का महाभारत में उल्लेख है। अठारहवीं शताब्दी में कटोच वंश के शासकों ने कांगड़ा पेंटिंग को सहेजने लिए कई प्रयास किए।

अमतर में किला, लंबागांव में महल

कांगड़ा के अलावा नादौन का अमतर किला कटोच शासकों का है। सुजानपुर में बारादरी है, तो लंबागांव में इस परिवार का महल है। एश्वर्य इसी परिवार के टिक्का राज हैं।

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