लोकसभा में मिली हार की कमियों का विश्लेषण करेंगे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वह हिमाचल प्रदेश की जनता का धन्यवाद करना चाहते हैं कि उसने लोकतंत्र के इस पर्व में खूब भाग लिया। यह आम नहीं, बल्कि विशेष चुनाव था। जनता की अदालत में मुद्दे उठाए गए और कांग्रेस पार्टी भी पूरे युद्ध की तरह चुनाव लड़ी। हमने अपने दो विधायक साथियों विक्रमादित्य सिंह और विनोद सुल्तानपुरी को भी चुनाव में उतारा। राष्ट्रीय नेता आनंद शर्मा को लड़ाया। हमीरपुर से पूर्व विधायक को मैदान में उतारा। चारों सीटों पर पहले के मुकाबले अच्छा संघर्ष हुआ.
लोकसभा का चुनाव, क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दों पर होता है, इसलिए जीत नहीं मिल पाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के छह विधायक, जो बागी हुए और राज्यसभा में पार्टी को दगा दिया। उसके बाद राजनीतिक मंडी में बिके। यह बात भी जनता की अदालत में रखी, इसीलिए प्रदेश के लोगों ने अगले साढ़े तीन साल के टर्म के लिए कांग्रेस के चार नए विधायक चुनकर दिए हैं। इससे राज्य सरकार की मेजोरिटी पूरी हो गई है।
मुख्यमंत्री ने पूछा कि अब वे लोग कहां हैं, जो कहते थे कि चार जून को राज्य में भी सरकार बनेगी। जनता का जवाब यह है कि जनबल को धनबल से नहीं हराया जा सकता। भविष्य की राजनीति को साफ सुथरा रखना जरूरी है। इस 80 फीसदी सफलता के साथ हिमाचल में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 34 से बढक़र 38 हो गई है। तीन उपचुनाव और आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी वह भी जीतेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 के मुकाबले लोकसभा के इन चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 14 फीसदी बढ़ा है।
यह राज्य की सरकार पर दूसरा मैंडेट है। इससे पहले नगर निगम का चुनाव हमने जीता था। अब विधानसभा उपचुनाव में छह में से चार सीटें जीती हैं। हालांकि लोकसभा की चारों सीटें हारने का दुख है और इसमें कमियां क्या रहीं, इस बारे में विश्लेषण करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा के चुनाव में थोड़ा तो मोदी फैक्टर भी था और दूसरा हिमाचल हिंदू मेजॉरिटी है, इसीलिए धर्म के आधार पर भी वोटिंग होती है। अन्य राज्यों की तरह हिमाचल में पोलराइजेशन नहीं होती।
उधर, चुनाव नतीजे की स्थिति साफ होते-होते कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और अन्य कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान, रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, जगत सिंह नेगी इत्यादि मुख्यमंत्री निवास ओकओवर पहुंचे। इन्होंने चुनाव पर मुख्यमंत्री के साथ लंबी चर्चा भी की। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक स्थिति और विधानसभा उपचुनाव के नतीजे को लेकर भी लंबी चर्चा हुई। इसके बाद ये मुख्यमंत्री की प्रेस वार्ता में भी उपस्थित थे। अब चुनाव आचार संहिता हटने के बाद जल्दी कैबिनेट की बैठक बुलाने की तैयारी भी है, ताकि लंबित फैसले लिए जा सकें।