धर्मशाला में भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा ने जीत दर्ज कर कांग्रेस को चारों खाने चित कर दिया है। 15 महीनों बाद बैक टू बैक जीत दर्ज करने वाले सुधीर शर्मा को कम आंकना कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि धर्मशाला में कांग्रेस एक के बाद एक गलतियां करती गई। धर्मशाला में कांग्रेस की तीन बड़ी वजह उभर कर सामने आई हैं। सबसे पहले सीएम सुक्खू व कांग्रेस सरकार ने सुधीर शर्मा को कम आंकने की गलती की और इसी की वजह से प्रदेश सरकार पर भी संकट खड़ा हो गया। सुधीर के बागवत करने के बाद कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने के बजाए व्यक्तिगत लांछन लगाने में अपना समय बर्वाद करती रही, जबकि सुधीर शर्मा मंझे हुए खिलाड़ी की तरह नए सिरे से अपना मोर्चा संभालने में जुट गए।
नतीजा यह हुआ कि जब तक कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित करती सुधीर शर्मा अपनी नई टीम के साथ विधानसभा के हर बूथ पर अपना संदेश पहुंचा चुके थे। कांग्रेस के लिए दूसरी बड़ी गलती यह रही कि सीएम सुक्खू धर्मशाला नेताओं की काबलियत और जनता के मिजाज को भांपने में भी असमर्थ रहे। इसलिए सीएम के जोरदार प्रचार के बावजूद भी लोगों ने कांग्रेस प्रत्याशी को हरा दिया। तीसरी सबसे बड़ी गलती भाजपा छोड़ कर जाने वाले राकेश चौधरी को भी सीएम सुक्खू ने अंडरएस्टीमेट कर दिया। राकेश चौधरी बेशक चुनाव न जीत सकें हों लेकिन कांग्रेस ने उन्हें मना लिया होता तो कांग्रेस के लिए राकेश चौधरी पारस से कम नहीं होते। इसके अलावा प्रत्याशी चयन में देरी होने से देवेंद्र जग्गी को प्रचार के लिए प्राप्त समय नहीं मिल पाया, जिसके चलते कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा।
आजाद राकेश चौधरी ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण
विधानसभा चुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लडऩे वाले राकेश चौधरी कांग्रेस को बड़ा झटका दे गए। हालांकि राकेश चौधरी तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन बतौर आजाद उम्मीदवार उन्होंने दस हजार से ज्यादा वोट लेकर सभी सियासी दलों को एक पैगाम दे दिया कि राकेश चौधरी जनता में अपनी पैठ रखते हैं। राकेश चौधरी का आजाद चुनाव लडऩा कांग्रेस के लिए भारी पड़ा, हालांकि पहले यह क्यास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस राकेश चौधरी को अपने साथ खड़ा कर लेगी। लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र जग्गी 22540 वोट पर अटक गए और सुधीर शर्मा 28066 वोट लेकर फिर से विजय होकर विधायक बन गए।
ये मुद्दे भी पड़े भारी
सीयू का 30 करोड़ समय पर जमा न करवा पाना कांग्रेस की हार की मुख्य वजहों में से एक रहा। इसके अलावा धर्मशाला स्थित सचिवालय में सीएम व मंत्रियों के न बैठना, युनिटि माल प्रोजेक्ट का लटकना, धर्मशाला से बड़े कार्यालयों का शिफ्ट होना भी कांग्रेस के लिए नुकसानदायक रहा।