एक ही कक्षा में पढ़ाई
कहते हैं उम्र तो महज एक आंकड़ा है और यदि उसमें फंसे रहे तो जिंदगी और बुढ़ापे का खेल चलता रहता है। शौक बड़ी चीज है, उसके आगे सब कुछ फीका नजर आता है। यह किस्सा है पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय डरोह में निरीक्षक के पद पर कार्यरत प्रवीण राणा का जो उम्र के आंकड़ों को नजरअंदाज करते हुए अपने शौक को पूरा करने में हमेशा अग्रणी रहते हैं।
जिंदगी के 50 बसंत देख चुके प्रवीण राणा वर्तमान में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र धर्मशाला से एलएल.बी. कर रहे हैं। बड़ी दिलचस्प बात यह है कि इनके साथ उनकी छोटी बेटी अंशिका राणा (21) भी इसी कालेज में एलएल.बी. कर रही हैं।
जरा सोचिए जब बाप और बेटी एक ही ड्रैस में, एक ही कालेज में, एक ही डैस्क पर इकट्ठे बैठकर शिक्षा ग्रहण करें तो कैसी अनुभूति होगी ? वास्तव में ही यह अकल्पनीय, अविश्वसनीय व अद्भुत पल होगा किसी की जिंदगी का और यह पल केवल खुद को गर्व की अनुभूति नहीं करवाता है। बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। प्रवीण राणा मूलरूप से राजा आलम चंद की नगरी आलमपुर से संबंध रखते हैं। उनकी बड़ी बेटी दीक्षा राणा ने भी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से बी.ए.एलएल. बी. की है तथा गोल्ड मैडलिस्ट रही हैं।
वर्तमान में दीक्षा न्यायिक सेवा प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं। पुलिस विभाग में प्रवीण राणा ने बहुत ही सराहनीय सेवाएं निष्पादित की हैं, जिनके प्रतिफल के रूप में इन्हें राष्ट्रपति पुलिस मैडल, प्रधानमंत्री जीवन रक्षा पदक, डी. जी. पी. डिस्क व अन्य प्रशंसनीय पत्रों से सम्मानित किया गया है।
जब यह वर्ष 1993 में पुलिस विभाग में भर्ती हुए थे तो इन्होंने बी.कॉम. पास कर रखी थी, लेकिन उसके बाद इन्होंने विभाग में अपने कर्त्तव्य निष्पादन के साथ- साथ एम. कॉम., मानव अधिकार व जर्नलिज्म में डिप्लोमा हासिल किया तथा अब अपनी पढ़ाई को निरंतर जारी रखते हुए अपनी छोटी बेटी के साथ एलएल. बी. कर रहे हैं, जोकि वास्तव में ही काबिलेतारीफ है।
जिंदगी के इस पड़ाव में पढ़ाई करना वास्तव में ही इंसान के लिए एक विशेष उपलब्धि हैं तथा बच्चों के लिए प्रेरणा की बात है।”