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सुक्खू सरकार पर जो संकट के बादल मंडरा रहे थे, वह अब छंट चुके हैं

सुक्खू सरकार पर जो संकट के बादल मंडरा रहे थे, वह अब छंट चुके हैं। हिमाचल में 38 विधायकों के साथ कांग्रेस एक बार फिर बहुमत में आ गई है। तमाम सियासी उथल-पुथल के बाद अब जाहिर सी बात है कि सरकार नए सिरे से नई ऊर्जा के साथ सारा काम करेगी। हिमाचल विधानसभा में इस बार कई चीजे बदल गई हैं। कई बड़े नेताओं के लिए विधानसभा के दरवाजे चुनाव हारने के बाद बंद हो गए हैं, तो वहीं कई नए चेहरे अब आपकों विधानसभा में नजर आएगें। खासतौर पर पिछले डेढ़ साल में जो महिला विधायक की कमी खल रही थी, वह अब पूरी हो चुकी है। लाहुल-स्पीति से अनुराधा राणा के चुनाव जीतने के बाद अब विधानसभा में कांग्रेस बीजेपी दोनों की ओर से एक-एक महिला विधायक आपको सदन में नजर आएगी।

अनुराधा राणा 31 साल की उम्र मे विधायक बन कर विधानसभा में सबसे कम उम्र की विधायक बन गई हैं। यही नहीं, लाहुल-स्पीति से 52 साल बाद कोई महिला विधानसभा की दहलीज लांघने में कामयाब हुई हैं। हालांकि अनुराधा की एंट्री के साथ ही अब ये चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या प्रदेश सरकार में मंत्री मंडल में फेरबदल होगा, क्योंकि वह सत्ता पक्ष में एक मात्र महिला विधायक हैं। जब साल 2022 में काग्रेस के 40 विधायक जीत के सदन में पहुंचे थे तो महिला विधायक की कमी जरूर खल रही थी, यह भी चर्चा हो रही थी कि अब महिलाओं के मसलों पर खुलकर सत्तापक्ष में कौन विचार करेगा कौन चर्चा करेगा। कांग्रेस सरकार में महिला मंत्री का पद भी खाली चल रहा है। ऐसे में अटकले हैं कि युवा विधायक अनुराधा राणा कांग्रेस सरकार में महिला मंत्री बन सकती हैं।

यह है वजह
अनुराधा ने बीजेपी की लाहुल में जमानत जब्त करवाकर और आजाद चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री राम लाल मार्कंडेय को हराकर पहले ही चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर ली हैं। कांग्रेस दल के सभी 37 विधायक पुरुष हैं। नए विधायकों की शपथ ग्रहण मानसून सत्र के दौरान होगी और जिस तरह के नतीजे लोकसभा के चुनावों में सामने आए हैं, कांग्रेस के अधिकांश मंत्री अपने हलकों में लीड नहीं दिला पाए, उससे एक इशारा ये भी है कि हो सकता है कि सरकार मत्रीमंडल में फेरबदल की सोचें। खासतौर पर जो स्थिती जिला कांगड़ा में बनी, यहां पर कांग्रेस के सबसे ज्यादा विधायक जीते हुए थे, मगर इस हलके में जहां हर बार कम से कम 3 मंत्री बनते थे, वहां सरकार ने सिर्फ दो ही मंत्री बनाएं. उनमें से एक की ताजपोशी तो साल भर बाद हुई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि कांगड़ा की नजरअंदाजी भी सरकार पर भारी पड़ी, क्योंकि यहां एक भी सीट ऐसी नहीं थी, जहां से कांग्रेस को हल्की सी भी बढ़त मिली हो। खैर आपको बता दें कि अभी सीएम सुकखू समेत हिमाचल कैबिनेट में 11 मंत्री हैं। अभी भी सरकार में एक मंत्री का पद भी खाली है। ऐसे में संभव है कि सरकार महिला को मंत्रीमंडल में जगह देने पर विचार कर सकती है, लाहुल स्पीति की जनता भी यही उम्मीद है।

एक फैक्टर बन सकता है रोड़ा
भले ही अनुराधा कों मंत्री बनाने के पक्ष मे कई बड़े फैक्टर नजर आ रहे होंगे, लेकिन एक फैक्टर ऐसा है, जो उनके मंत्री बनने में रोड़ा बन सकता है। दरअसल वह जनजातीय क्षेत्र से आती हैं और इस वक्त किन्नौर विधानसभा क्षेत्र से विधायक जगत सिंह नेगी बागबानी एवं राजस्व मंत्री हैं। ऐसे में जनजातीय क्षेत्र से दो मंत्रियों का कैबिनेट में शामिल होना क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से सहज नहीं है। हालांकि अब देखना होगा कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व क्या परिवर्तन की ओऱ आगे बढ़ता है या फिर प्रदेश में वर्तमान में जो व्यवस्था है उसी के अनुसार काम किया जाता है।

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