मोदी कैबिनेट में अनुराग ठाकुर को जगह न मिलने पर सभी के जहन में सवाल जरूर उठा है कि नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के स्टार परफॉर्मर्स में से एक अनुराग ठाकुर को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, जबकि बात सियासी करियर की भी करें, तो अनुराग ठाकुर कोई चुनाव अब तक नहीं हारे हैं। लगातार 5वीं बार वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते हैं। युवा मोर्चा का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया। उनका वह कार्यकाल शानदार रहा।
जनवरी 2019 में वह भाजपा के पहले ऐसे सांसद बने, जिन्हें सांसद रत्न से नवाजा गया। पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में ठाकुर को केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया। शुरूआत राज्य मंत्री के तौर पर हुई। पहले मोदी सरकार में वित्त मंत्रालय और कारपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री में राज्य मंत्री का भार अनुराग ने संभाला और फिर उसके बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय और खेल मंत्री का दायित्व मिला। इन सबके बाद भी अनुराग को साझा सरकार में मंत्री पद न मिलना हैरानी भरा है। हालांकि इसके पीछे कई फैक्टर हैं। सबसे पहला यह कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है और वह मोदी कैबिनेट में दूसरी बार मंत्री बने हंै। वैसे तो वह गुजरात से राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन रहने वाले हिमाचल प्रदेश के ही हैं। अब हिमाचल जैसे छोटे राज्य से मिली जुली सरकार में 2-2 मंत्री रखने से क्षेत्रीय संतुलन गड़बड़ा सकता है। इसलिए अुनराग ठाकुर का पत्ता कट गया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष या महासचिव
हालांकि जेपी नड्डा के मंत्री बनते ही ये भी चर्चा शुरू हो गई है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो चुकी है। नए भाजपा अध्यक्ष के साथ संगठन में भी अहम बदलाव किए जाएंगे। माना जा रहा है कि युवा नेता अनुराग ठाकुर को संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हो सकता है कि उन्हे राष्ट्र महासचिव जैसा बड़ा ओहदा दिया जाए। हालांकि अनुराग ठाकुर के समर्थकों का यह भी मानना है कि अनुराग को अब नड्डा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वाली कुर्सी सौंप देनी चाहिए, क्योंकि अनुराग ठाकुर युवा होने के साथ-साथ तेज तरार्र नेता भी हैं। ऐसे में इस वक्त अनुराग ठाकुर का नाम अध्यक्ष पद के लिए जोर शोर से आगे चल रहा है। हांलांकि अनुराग ठाकुर के अलावा इस पद के लिए महाराष्ट्र से विनोद तावड़े का नाम भी चर्चा में है, जो वर्तमान में बिहार के प्रभारी महासचिव हैं। इस लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कई जिम्मेदारियां सौंपी थी, जिसका नतीजा ये निकला कि बीजेपी बिहार में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रही। अमित शाह के करीबी सुनील बंसल, बीएल संतोष जो कि अभी महासचिव हैं और उनके अलावा पीएम मोदी के करीबी ओम माथुर भी हैं अध्यक्ष पद की रेस में हैं। ऐसे में माना जा रही है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए काफी खींचतान चल रही है। ऐसे में अनुराग के हिस्से यह पद आता है या नहीं, इस पर संश्य बरकरार है, जबकि राष्ट्र सचिव के तौर पर उनकी दावेदारी ज्यादा मजबूत नजर आ रही है, क्योंकि अध्यक्ष पद के लिए जहां एक ओर अनुराग ठाकुर अभी काफी युवा माने जा रहे हैं, वहीं एक दिक्कत यह भी है कि अनुराग ठाकुर से पहले जेपी नड्डा अध्यक्ष थे, ऐसे मे एक ही राज्य से लगातार दो अध्यक्ष बीजेपी फिलहाल नहीं बनाएगी।
बड़ा कद, बड़ा पद
जाहिर सी बात है कि अनुराग का सियासी कद काफी बड़ा है, इसलिए बड़े पद की उम्मीद है। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हो सकता है कि भाजपा अब अनुराग की हिमाचल की सियासत में एंट्री करवा दे, क्योंकि अभी तक अनुराग ठाकुर प्रदेश की सियासत से दूर हैं।