भारत (india) दुनिया के सबसे रेल नेटवर्क में से एक है. अमेरिकी, चीन और रूस के भारत का रेल नेटवर्क सबसे बड़ा है. हालांकि, हमारी रेल प्रणाली सर्वश्रेष्ठ है या नहीं इस पर वाद-विवाद हो सकता है. भारत में हर दिन 20,000 से अधिक ट्रेनें पटरियों पर दौड़ लगाती हैं और 2 करोड़ से अधिक लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं. इनमें से करीब 13,000 पैसेंजर ट्रेने हैं. इतने बड़े नेटवर्क में सामने से ट्रेनों की टक्कर ना के बराबर होती है. लेकिन ट्रेन का पटरी छोड़ देना आये दिन सुनने को मिलता है.
Cause of Train Derailment: ऐसा क्या कारण है कि ट्रेनें पटरी छोड़ दे रही है. जबकि जिस तरह से पहियों की बनावट होती है उनके लिए पटरी से उतरना काफी मुश्किल है. इसलिए हर रोज हजारों की संख्या में ट्रेनें चलती हैं लेकिन पटरी से उतरने की घटनाएं महीनों या सालों में सुनने को मिलती हैं. लेकिन मिलती जरूर हैं. इसके पीछे की वजह क्या है. क्या टक्कर रोधी तकनीक इसमें कोई मदद कर पाती है? आइए इसके संभावित कारण और बचाव के बारे में जानने का प्रयास करते हैं.
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क्या-क्या होते हैं कारण? जैसा कि हमने कहा इसकी कई वजहे हैं. इनमें से प्रमुख वजह है रेलवे ट्रैक पर मैकेनिकल फॉल्ट यानी रेलवे ट्रैक पर लगने वाले उपकरण का खराब हो जाना. इसके बाद पटरियों का चटकना, ट्रेन के डिब्बों को बांध कर रखने वाले उपकरण का ढीला होना व एक्सेल (ट्रेन की बोगी जिस पर रखी होती है) का टूटना भी एक कारण है. ट्रेन की पटरियों से पहिए के लगातार घिसने के कारण भी ट्रेन डीरेल होती है. गर्मियों में पटरियों के स्ट्रक्चर में बदलाव से भी ट्रेन पटरी छोड़ देती है. इन सब के अलावा तेज चलती ट्रेन को तीव्र मोड़ना या फिर ब्रेक लगा देना भी ट्रेन के पटरी छोड़ने का कारण बनता है. इसे रोकने का एक ही तरीका है मरम्मत कार्य चलता रहे. थोड़ी भी गड़बड़ी नजर आने पर उसे तुरंत ठीक किया जाए.