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केंद्रीय योजनाओं का पैसा न खर्च करने के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य की सुक्खू सरकार को चेतावनी दी है। यह चेतावनी केंद्र से वित्त पोषित योजनाओं की फंडिंग के मामले में दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के निदेशक प्रतीक कुमार सिंह ने प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना और सचिव वित्त को एक पत्र लिखा है। इसमें चेतावनी दी है कि केंद्रीय योजनाओं के लिए केंद्र से आने वाले बजट और इसके राज्य के हिस्से को निर्धारित समय पर सिंगल नोडल एजेंसी (एसएनए) के खाते में 30 दिन के अंदर डाला जाए, ताकि समय पर संबंधित योजना में खर्च किया जा सके। अगर ऐसा नहीं किया तो सालाना सात फीसदी की दर से जुर्माना ब्याज देना होगा। यह नई व्यवस्था आगामी वर्ष में 1 अप्रैल 2023 से लागू होगी। सिंगल नोडल एजेंसी के खाते में केंद्र से आए पैसे को जमा करने की अवधि इससे पहले 21 दिन थी जबकि राज्य के बजट की अवधि 40 दिन थी।
अब केंद्र सरकार से आए बजट को जमा करने की अवधि को 30 दिन किया गया है, मगर यह भी चेतावनी दी गई है कि इस समय सीमा के बाद जितने वक्त तक भी राज्य सरकार के विभाग अपने पास पैसा रोके रखेंगे, उतने वक्त के लिए सात फीसदी वार्षिक की दर से जुर्माना ब्याज देना होगा। इसमें 23 मार्च 2021 की 21 दिन में हस्तांतरित करने की पुरानी व्यवस्था को संशोधित करने का भी जिक्र किया गया है। इससे केंद्रीय योजनाओं को धरातल पर उतारने में आसानी होगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों की यह रिपोर्ट गई है कि केंद्र से वित्तपोषित योजनाओं के लिए वक्त रहते बजट व्यय नहीं किया जा रहा है। ऐसे में राज्यों के मुख्य सचिवों को इस नई व्यवस्था से आगाह किया गया है। समय पर बजट को सिंगल नोडल एजेंसी के खाते में जमा न करने पर भारत सरकार के कंसोलिडेटिड फंड में इसे जमा करना होगा।
सरकार ने जारी नहीं किए शिमला स्मार्ट सिटी के 49 करोड़ रुपये
केंद्र सरकार ने शिमला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए 49 करोड़ रुपये की किस्त जारी की थी, जिसे अभी तक जारी नहीं किया है। यह किस्त बीते साल दिसंबर के अंत में ही जारी हो चुकी है। सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी प्रबंधन को इसका पैसा न मिलने के कारण कई काम भी ठप होने लगे हैं। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग समेत कई महकमों ने स्मार्ट सिटी के काम आगे बढ़ाने के लिए जल्द पैसा जारी करने की भी मांग की है।