खबर आजतक,शिमला ब्यूरो
इस सीजन में किलो के हिसाब से सेब खरीद को लेकर बागवानी मंत्री के आश्वासन से संयुक्त किसान मंच संतुष्ट नहीं है। मंगलवार को होने वाली मंच की बैठक में बागवानों के मुद्दों को लेकर आगामी रणनीति तय होगी। मंच के नेताओं का कहना है कि सरकार बागवानों के प्रति अगर सही में गंभीर है तो कैबिनेट में बागवानों के हित में नीतिगत फैसले लिए जाएं, कोरे आश्वासन न दिए जाएं।
संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार, मंत्री और अधिकारियों में तालमेल न होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई है। बागवानी मंत्री कह रहे हैं कि बैठक के लिए संयुक्त किसान मंच को आमंत्रित किया था, जबकि उद्यान विभाग की ओर से कोई पत्र नहीं भेजा गया।
बागवानों के सबसे बड़े संगठन को लेकर मंत्री ने जो बयान दिया वह अपेक्षित नहीं था, इससे बागवान आहत हैं। मंच सरकार से टकराव नहीं बातचीत चाहता है। बागवानी मंत्री खुद सेब उत्पादक हैं, इसलिए हमें उनसे बागवानों के मुद्दे हल होने की उम्मीद है। मौजूदा सरकार के मंत्री रोहित ठाकुर, विक्रमादित्य सिंह, सीपीएस मोहन लाल ब्राक्टा और विधायक हरीश जनारथा पिछली सरकार के समय संयुक्त किसान मंच के साथ सड़क पर उतरे थे।
विक्रमादित्य सिंह ने विधानसभा में मंच का नाम लेकर बागवानों की मांगें उठाई थी। हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री बजट सत्र से पहले मंच के साथ बैठक कर नीतिगत फैसले लेंगे, जिससे बागवानों को जमीनी स्तर पर राहत मिलेगी। इस साल पर्याप्त बर्फबारी न होने के कारण सूखे के चलते सेब की फसल पर संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में सरकार बागवानों को राहत देने के लिए अगर तुरंत नीतिगत फैसले लेकर लागू नहीं करती तो तो बागवानों की परेशानी बढ़ सकती है।
मंच की मांग है कि मंडियों में वजन के हिसाब से सेब बिके। इसके लिए एपीएमसी एक्ट को कड़ाई से लागू किया जाए, कुल्लू की तर्ज पर क्रेट में सेब खरीद की व्यवस्था हो और यूनिवर्सल कार्टन लागू किया जाए। नियमों के तहत एमआईएस के तहत खरीदे जाने वाले सेब की पेमेंट 24 घंटे के भीतर सुनिश्चित की जाए। बागवानी विभाग के स्प्रे शेड्यूल में शामिल ब्रांडेड दवाएं बागवानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाई जाएं।