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मौसम की बेरुखी: बारिश-बर्फबारी कम होने से फरवरी में गहराने लगा पेयजल संकट, आपात योजना बनाने के दिए निर्देश

खबर आजतक, शिमला ब्यूरो

पर्याप्त बारिश और बर्फबारी के अभाव में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों के जल स्तर में गिरावट शुरू हो गई है। राज्य भर के कई क्षेत्रों में पीने के पानी के स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। गर्मियों में इसकी चिंता और बढ़ेगी। संभावित जल संकट के साफ संकेतों को भांपते हुए जलशक्ति विभाग ने सभी फील्ड अधिकारियों से इस बाबत एक सप्ताह में रिपोर्ट तलब कर ली है। राज्य भर में ऐसे ज्यादा दिक्कत वाले ग्रामीण क्षेत्रों में नोडल अधिकारी नियुक्त कर आपात योजना बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं। यह संकट विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों छोटे पेयजल स्रोतों पर गहरा गया है। इनमें ग्रामीण इलाकों में चश्मे, बावड़ियां और इसी तरह के अन्य स्रोत भी शुमार हैं। कई गांवों में इन स्रोतों पर पानी का दोहन बढ़ गया है तो ऐसे में इनसे निचली तरफ के स्रोत भी रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं।

ऐसे में राज्य भर के लाखों लोग अभी से पेयजल संकट को लेकर परेशानी में हैं। उन्हें चिंता यह सता रही है कि अगर स्थिति यही रही और आगामी दिनों में पर्याप्त बर्फबारी और बारिश नहीं हुई तो यह संकट और भी गहरा सकता है। हर साल सर्दियों में सामान्य बारिश या बर्फबारी की स्थिति में भी पेयजल संकट गहरा जाता है। इस बार स्थिति और विकराल हो सकती है। उधर, राज्य सरकार के जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंता संजीव कौल ने कहा है कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश भर के सभी पेयजल स्रोतों पर एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट भेजी जाए। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे स्रोतों पर भी रिपोर्ट देने को कहा गया है। कई क्षेत्रों में गांवों में पीने के पानी के छोटे स्रोतों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसका कारण पर्याप्त बारिश का न होना है। विभाग ऐसे क्षेत्रों के लिए नोडल अधिकारी लगाएगा और कंटीजेंसी प्लान तैयार करेगा।

पाइप बिछीं, पर पानी नहीं आता जिला शिमला की तहसील ठियोग की ग्राम पंचायत कमाह के पलाना गांव में पीने के पानी के प्राकृतिक स्रोत सूखने की कगार पर हैं। इसी तहसील ठियोग की ग्राम पंचायत क्यार के धानो गांव में भी पेयजल स्रोत सूखने लग गए हैं। यहां मौजूदा स्रोतों पर पानी के लिए लोग रात-रात तक दौड़भाग कर रहे हैं। जल शक्ति विभाग ने मौजूदा योजनाओं में पाइप बिछा रखी हैं, मगर उनमें पानी नहीं आता है। इन क्षेत्रों में लगाए गए नलके शो-पीस बन गए हैं।

 

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