हाई कोर्ट ने परवाणू के उद्योगपति से इंश्योरेंस क्लेम के बदले पांच लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोपित जेके मित्तल की जमानत याचिका पर सीबीआइ को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने जमानत याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई की।
मित्तल पर आरोप है कि उसने सह अभियुक्त एनएस सिद्धू से मिलकर उपभोक्ता अदालत के निर्णय को लागू करने और आगामी अपील न करने की एवज में पांच लाख रुपये की रिश्वत ली। सीबीआइ के अनुसार रिश्वत लेने के बाद सह अभियुक्त एनएस सिद्धू ने जेके मित्तल को रिश्वत प्राप्ति की जानकारी दी। फिर मित्तल ने आफिस स्टाफ को हिदायत दी कि वे शिकायतकर्ता के इंश्योरेंस की राशि का भुगतान कर दे।
इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम देने से इन्कार
सीबीआइ शिमला की टीम ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक और सर्वेयर को रिश्वत के मामले में चार जनवरी को गिरफ्तार किया था। कंपनी के महाप्रबंधक जेके मित्तल और सर्वेयर एनएस सिद्धू को सीबीआइ शिमला की टीम ने चंडीगढ़ में गिरफ्तार किया था। 19 मई, 2010 को शिकायतकर्ता के परवाणू स्थित एक उद्योग में आग लग गई थी। न्यू इंडिया कंपनी से इस निजी फैक्ट्री की इंश्योरेंस की गई थी। इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम देने से मना कर दिया था। शिकायतकर्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में इसकी शिकायत की।
आयोग ने शिकायत का निपटारा करते हुए इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया कि वह शिकायतकर्ता को 44 लाख रुपये नौ प्रतिशत ब्याज सहित अदा करे। सात नवंबर, 2022 को पारित आदेश पर आठ सप्ताह के भीतर अमल करने को कहा गया था अन्यथा उक्त राशि 12 प्रतिशत ब्याज सहित देने का आदेश जारी किया था। शिकायतकर्ता ने इस आदेश के बाद सर्वेयर से बात की।
शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत CBI के शिमला कार्यालय में की
आरोप है कि इंश्योरेंस कंपनी के महाप्रबंधक ने सर्वेयर के माध्यम से उद्योगपति को 44 लाख का क्लेम देने की बात पर सहमति जताई, लेकिन उसने उद्योगपति से मामले में आगामी अपील न करने और जल्दी से क्लेम राशि का भुगतान करने की एवज में 12 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। शिकायतकर्ता ने इसकी लिखित शिकायत सीबीआइ के शिमला कार्यालय में की थी। सीबीआइ अदालत शिमला पहले ही दोनों आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज कर चुकी है।