उत्तराखंड का मशहूर कस्बा जोशीमठ लगातार धंसता जा रहा है, जिस वजह से यहां के ज्यादातर घर और इमारतों में दरारें आ गई है. ऐसे में अब दरार आ चुकी इन इमारतों और घरों को तोड़ने का फैसला लिया गया है. ताजा जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि उत्तराखंड के जोशीमठ में जिन इमारतों में दरारें आ गई हैं और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं, उन्हें आज से ध्वस्त कर दिया जाएगा. जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया है, ‘डेंजर’, ‘बफर’ और ‘कंप्लीटली सेफ.’
अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ में 600 से अधिक इमारतों में दरारें आ गई हैं. जो सबसे अधिक क्षतिग्रस्त हैं उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा. जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को बताया कि लगभग 4,000 लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि जोशीमठ का 30 फीसदी हिस्सा प्रभावित है. एक विशेषज्ञ समिति द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा जाएगा.”
होटलों को गिराने के लिए रुड़की से एक्सपर्ट की टीम बुलाई गई है. ये वो होटल हैं जिनके स्वतः गिरने से कई मोहल्लों को ख़तरा था लिहाज़ा एहतियातन इन्हें सरकार ने गिराने का फ़ैसला किया गया. डेमोलिशन प्रक्रिया आज ही पूरी की जाएगी. इसके लिए एसडीआरएफ़ और पुलिस टीम मौके पर पहुंच चुकी है. रोड को आने जाने के लिये बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. साथ ही सुरक्षा के नजरिए से आस पास के क्षेत्र से गाड़ियों को हटवाया जा रहा है. एक्सपर्ट्स की टीम अभी नहीं पहुंची है.
एसडीआरएफ ने एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया की फ़्लोर वाइज़ होटल को गिराया जाएगा. जिसका पूरा मलबा एक साथ नहीं गिराया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक ये पूरा काम जोशीमठ पुलिस, एसडीआरएफ, सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की की टीम, एनडीआरएफ की स्टैंडबाय टीम, पीडब्ल्यूडी की टीम की देखरेख में पूरा आपरेशन होगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी से एक टीम के रूप में काम करने और शहर को बचाने की अपील की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य सरकार को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है.
जोशीमठ में जमीन धंसने का आकलन करने वाले एक विशेषज्ञ पैनल ने क्षतिग्रस्त मकानों को गिराने की सिफारिश की थी. विध्वंस केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की एक टीम की देखरेख में किया जाएगा, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को उनकी सहायता के लिए बुलाया गया है. अधिकारियों ने कहा, “जोशीमठ में प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्था किए गए राहत शिविरों में बुनियादी सुविधाओं का प्रशासन द्वारा लगातार निरीक्षण किया जा रहा है और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद दी जा रही है.”
जोशीमठ प्रमुख तीर्थ स्थलों का प्रवेश द्वार भी है. विशेषज्ञों ने खतरनाक स्थिति के लिए पनबिजली परियोजनाओं सहित अनियोजित बुनियादी ढांचे के विकास को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि कई लोगों NTPC की पनबिजली परियोजना को इसका कारण मान रहे हैं. जोशीमठ के लोगों ने कहा है कि उन्होंने पिछले महीने तीन बार मुख्यमंत्री को एनटीपीसी परियोजना की सुरंगों में विस्फोटों के प्रभाव के बारे में चेतावनी देते हुए लिखा था. हालांकि एनटीपीसी ने अपनी परियोजना और जोशीमठ की स्थिति के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया है.