हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के रुंझ के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेटर संगीत चौहान इन दिनों कंबोडिया की राष्ट्रीय पैरा क्रिकेट टीम को प्रशिक्षित कर रहे हैं। वह भारत के पहले ऐसे कोच हैं जो विदेशी पैरा क्रिकेट टीम के कोच बने हैं। 31 वर्षीय संगीत चौहान ने हिमाचल समेत पंजाब व हरियाणा की दिव्यांग क्रिकेट टीमों की ओर से खेलते हुए घरेलू क्रिकेट में अलग पहचान बनाई है। वहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी उनकी उपलब्धियां कम नहीं। यही वजह है कि कंबोडिया क्रिकेट फेडरेशन ने उन्हें अपनी नेशनल पैरा क्रिकेट टीम के कोच पद पर नियुक्त किया है।
संगीत चौहान का बायां बाजू काम नहीं करता है, लेकिन उन्होंने जीवन में इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। पैरा क्रिकेट में लग्न और कठिन परिश्रम से न केवल अच्छे बल्लेबाज बने बल्कि गेंदबाजी में भी सफलताएं हासिल की हैं। संगीत ने वर्ष 2008 में लाहुल स्पीति की ओर से वरिष्ठ अंतर जिला क्रिकेट टीम में खेलते हुए करियर का आगाज किया था। इसके बाद 2006 में गोरखपुर में टेनिस क्रिकेट नेशनल खेला। 2009 में राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। वर्ष 2012 में पाकिस्तान के खिलाफ फरीदाबाद में पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेला।
इसके बाद भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की ओर से एशिया कप में भाग लिया। यही नहीं बांग्लादेश, नेपाल व श्रीलंका में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। संगीत ने इंग्लैंड में क्रिकेट कोच का प्रशिक्षण हासिल किया है। कंबोडिया से अपने घर छुट्टी पर पहुंचे संगीत चौहान ने बताया कि क्रिकेट कोच रविकांत ने उनके करियर में बढ़ा योगदान दिया है। उन्होंने न केवल क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया बल्कि समय-समय पर मदद भी करते रहे।