मोनिका शर्मा, धर्मशाला
देश में सबसे ज्यादा बारिश वाले दूसरे स्पाट धर्मशाला में बरसात ने 17 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। जुलाई माह में साल 2005 में 589 एमएम बारिश दर्ज हुई थी। यह अब तक का रिकार्ड था,लेकिन इस बार जुलाई में धर्मशाला व इसके आसपास 589 एमएम बारिश हो गई है। यही नहीं रविवार के दिन धर्मशाला में 55 एमएम बारिश रिकार्ड की गई है। यह आंकड़ा भी काफी बड़ा है। मूसलाधार बारिश का नतीजा यह हुआ है कि धर्मशाला से लेकर पूरे जिला में खड्डों में उफान दर्ज किया गया है। जिला में बैजनाथ की बिनवा,आवा, पालमपुर की न्यूगल, नगरोटा बगवां में बनेर, दरूं, धर्मशाला में मनूणी, मांझी और गज खड्डें उफान पर रहीं। इसके अलावा शाहपुर की चंबी, खौली, ब्राहल, देहर खड्डों का जलस्तर भी काफी दिखा है। खासकर मांझी खड्ड ने पिछले साल बाढ़ से बर्बाद हुए क्षेत्रों में फिर से लोगों को डरा डाला है। मांझी, गज आदि खड्डों में तटीकरण की जरूरत है,लेकिन अब तक इसपर काम नहीं हो पाया है। किसानों राजेश, संजीव, विजय आदि का कहना है कि कूहलें फिर से टूट गई हैं। वहीं बारिश के कारण खेत पानी से लबालब हो गए हैं। पानी के बहाव से कई जगह धान खेतों में बिछ गए हैं। इसी तरह नकदी सब्जियों को भी नुकसान हुआ है। मौसम विज्ञान केंद्र प्रभारी सुरेंद्र पाल ने बताया कि आगामी तीन दिन तक कांगड़ा जिला के कई इलाकों में तेज बारिश की आशंका है।
कांगड़ा जिला उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने लोगों से अपील की है कि वे खड्ड-नालों के किनारे न जाएं। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर कई उफनती खड्डों के फोटो ट्वीट करते हुए लोगों ने एहतियात बरतने की अपील की है।
नालियां न होने से सड़कों पर पानी
धर्मशाला-गगल सड़क पर चैतड़ू, सकोह से लेकर जिला मुख्यालय तक कई जगह नालियां सही न होने से पानी सड़कों पर आ गया। कई जगह सड़कों को नुकसान हुआ है। इसी तरह धर्मशाला-सराह-सनौरां सड़क पर भी नालियां न होने से इसके किनारों को नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर जिला भर में सड़कों को नुकसान पहुंचने का समाचार है।