भारत में पीरियड्स एक ऐसा विषय है, जिस पर हर कोई अपनी अलग-अलग राय देता है। हालांकि, आज भी ऐसे कई लोग हैं जो इस पर सही से बात करने से भी कतराते हैं। लेकिन हर महिला के लिए यह समय बेहद अलग होता है। क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। आज भी लोग पीरियड्स में महिलाओं को अछूत मानते हैं। इस दौरान महिलाओं के लिए अलग नियम बनाए गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्राचीन समय में भारत में पीरियड्स से जुड़े रीति-रिवाजों के बारे में।
पीरियड्स को माना जाता है शुभ
पहले के समय में पीरियड्स को शुभ माना जाता था। ऐतिहासकार नरेंद्र नाथ भट्टाचार्य के अनुसार पहले के समय में पीरियड्स ब्लड को भगवान को चढ़ाया जाता था। क्योंकि महिलाओं को देवी के रूप में देखा जाता था। जैसे भारत के असम और उड़ीसा राज्य में भगवान के मासिक धर्म को मनाया जाता है। उनका मानना था कि उपजाऊ धरती और महिला दोनों को आराम, सम्मान और खुश रखना चाहिए।
पीरियड्स के कपड़े को जाता है दफनाया
पीरियड्स से जुड़ा एक रिवाज है, जहां महिलाएं पीरियड्स के कपड़े को दफना देती है। क्योंकि माना जाता है कि यह कपड़ा बुरी आत्माओं यानी नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है। प्लेस ऑफ मेस्चुरेशन इन द रिप्रोडक्टिव लिव्स ऑफ वुमेन ऑफ रूलर नॉर्थ इंडिया के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जादू करने के लिए सड़कों पर इस्तेमाल किए गए पैड या कपड़ा फेंक देती हैं। अगर कोई व्यक्ति इस पर अपना पैर रख देता है तो उस पर बुरा प्रभाव पड़ जाता है।
महिलाओं को अलग करके रखना
प्राचीन समय से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अलग रखा जाता था। लेकिन इसका कारण यह नहीं था कि वह अछूत है। बल्कि लोगों का मानना था कि महिलाओं को इस समय कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण वह इन दिनों कम एक्टिव रहती हैं और सही से काम नहीं कर पाती हैं। लेकिन समय के साथ-साथ समाज ने इसकी परिभाषा बदल दी और उन्हें अशुद्ध कहकर कुछ चीजों से वंचित किया जाने लगा
माना जाता था कि अगर पीरियड्स के दौरान महिला किसी गाय को छू देती है तो वह बांझ हो जाती है। हालांकि, इस बात का लॉजिक शायद ही कोई जान पाया हो। इसी तरह इस दौरान महिलाओं को खट्टी चीजें जैसे अचार और दही खाने से भी मनाही होती थी।
इन राज्यों में मनाया जाता है पीरियड्स से संबंधित त्योहार
क्या आप जानते हैं कि भारत के कई राज्यों में पीरियड्स को त्योहार की मनाया जाता है।
कर्नाटक में इस त्योहार को ‘ऋतुशुद्धि’ या ‘ऋतु कला संस्कार’ के नाम से जाना जाता है।वहीं असम में पीरियड्स से जुड़ा ‘तुलोनिया बिया’ का त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है। इस दौरान लड़की को सात दिन तक अलग करके रखा जाता है।तमिनाडु में पीरियड्स के त्योहार को ‘मंजल निरातु विज़ा’ कहा जाता है। इसमें सभी रिश्तेदारों को कार्ड देकर बुलाया जाता है। इसमें लड़की के लिए अलग झोपड़ी बनाई जाती है। उसे हल्दी के पानी से नहलाया जाता है।
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