‘पापा ! मैं जा रही हूं, क्योंकि आप पर बोझ नहीं बनना चाहती। आपने मेरे लिए बहुत कुछ किया है। काश ! मैं आपके लिए कुछ कर पाती । मेरी पढ़ाई पर खर्च होने के कारण आप अपने लिए दवा नहीं ले पा रहे हैं। इस बोझ के साथ मैं जीना नहीं चाहती। मैंने जो पैसे रखे हैं उससे अपने लिए दवा खरीद लेना। कुछ पैसे मेरे बैग में भी हैं, उसमें से पैसे निकालकर छोटी बहन को एक सूट खरीदकर दे देना । पापा आप दुःखी मत होना और छोटी बहन को खूब पढ़ाना… आपकी बेटी ।’ यह पत्र बेटी ने पापा के नाम लिखा और फंदे पर झूल गई।
जिला ऊना के एक गांव में बीबीए की छात्रा ने मंगलवार दोपहर आर्थिक हालात से तंग आकर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जब उसने यह कदम उठाया तब पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे। मां मनरेगा में मजदूरी करने के लिए गई थी। भाई व बहन भी स्कूल में थे।
माता – पिता जब घर में पहुंचे तो बेटी को फंदे पर झूलता देख उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने बेटी को नजदीकी अस्पता पहुंचाया। यहां चिकित्सकों ने उसे म घोषित कर दिया। सूचना मिलने पुलिस अस्पताल पहुंची और स्वज के बयान दर्ज किए।
पिता लोहार की दुकान करते लेकिन सांस लेने में दिक्कत होने के कारण बंद करनी पड़ी। पिता दिहाड़ी लगाकर व मां मनरेगा में मजदू कर घर का खर्च चलाने के स बच्चों को पढ़ा रहे थे। कुछ दिन से पिता की तबीयत ज्यादा खर रहने लगी और दवा का खर्च भी गया । बड़ी बेटी को कालेज जने के लिए रोज किराये आदि के लिए पैसे की आवश्यकता होती थी। बेटी पढ़ाई में होशियार थी और जमा में उसे छात्रवृत्ति भी मिली पुलिस अधीक्षक अर्जित सेन ठाकुर बताया कि मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।