आज जश्न मनाए जाणगे
* व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार पुरानी रीत में नहीं कर पाई परिवर्तन
* सरकार का जश्न बनाम एक साल का कार्यकाल
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 1 साल का वक़्त 11 दिसंबर 2023 को होने जा रहा है। ऐसे में सरकार जब अपने एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है और जश्न की तैयारियों जोरों पर हैं तो क्यों न जश्न के बीच सरकार के इस एक साल के कार्यकाल का मोटे तौर पर आकलन भी कर ही लिया जाए। सुक्खू सरकार ने 2022 में 11 दिसंबर को शिमला में शपथ ली थी।
इसके बाद इस एक साल में कई घटनाएं हुए, कई फैसले सरकार ने लिए, कई ऊंच नींच भी देखने को मिली। अब जब बात सरकार की ही हो रही है तो सबसे पहले बात करते हैं कांग्रेस की उन गारंटियों की जो कांग्रेस ने 2022 में सरकार बनने से पहले पब्लिक को दी थीं और जिसके दम पर सरकार सत्ता के सिहांसन पर विराजी थी।
कांग्रेस ने आम पब्लिक से जुड़ी 10 गारंटियां चुनाव से पहली रखी थी। एक साल के वक़्त में सरकार अभी तक सिर्फ ओल्ड पेंशन स्कीम को छोड़ दिया जाए तो बाकी 9 गारंटियां पूरी होना तो दूर की बात, उसकी कहीं कोई बात तक नहीं चली है।
मौजूदा सरकार में बेशक प्रदेश को अपना पहला उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के रूप मिला, लेकिन एक साल होने को है और 4 दिसंबर तक मंत्रिमंडल अधूरा ही रहा। कांगड़ा की अनदेखी चलते हुए अभी तक भी मंत्रीमंडल में 3 पद खाली चल रहे हैं, जबकि डिप्टी स्पीकर और व्हिप के पद भी खाली चल रहे हैं।
हालांकि प्रदेश के मुखिया सुक्खू भाई ये जरूर कहते हैं कि ये कोई बड़ी बात नहीं.. पर ये बताने वाला शायद कोई नहीं कि मंत्री के बिना विभाग पर गौर अधिकारी सही से कर रहे होंगे…??? खैर बात सरकार के साल के कार्यकाल की हो रही है तो उसी पर चलते हैं..
मौजूदा वक़्त में सबसे बड़ा मुद्दा युवाओं से जुड़ा हुआ है जो है बेरोजागरी… सत्ता में आते ही सुक्खू सरकार ने युवाओं की आवाज बनते हुए घोटालों पर विराम लगाना चाहा। ऐसे में HPSSC को बर्खास्त करने के बाद भंग कर दिया गया। बेशक आज इसका गठन हो चुका है लेकिन अभी तक कोई भी भर्ती इसके माध्यम से नहीं हो पाई है। वजहें क्या रही ये सरकार जानें, पर बेरोजगार आज सड़कों पर हैं और आए दिन अपने लिए रोजगार के लिए मांग कर रहे हैं।
कई पेपर्स कोर्ट या फिर विजिलेंस की वजह से लटके पड़े हैं, जबकि कुछ तो सरकार की अपनी वजह से। हालांकि अभी सरकार ने कुछ पोस्ट्स निकालीं है, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर ही मानी जा सकती हैं, क्योंकि सरकार ने हर साल 1 लाख नौकरियों का वादा किया था, जबकि सैकड़ों में भी नहीं दे पाई है…
इसके बाद मुद्दा आता है हिमाचल पर कर्ज… सरकार ने एक साल के अंदर हजारों करोड़ रुपयों का लोन ले लिया है, जबकि आते ही सरकार के मुखिया कर्ज फ्री स्टेट बनाने की बात कर रहे थे। ऐसे में भाजपा ने भी मौके पर चोट देने में कोई कसर नहीं छोड़ी और केंद्र से प्रदेश की लोन लिमिट घटा दी गई।
एक साल के वक़्त में सुक्खू सरकार ने लोन पर लोन ही लिए हैं, जबकि बदले में अभी तक 1 साल में हासिल कुछ नहीं किया है। हालांकि हर सरकार का ही यही हाल है लेकिन कर्ज फ्री स्टेट के दावे करने वाली सुक्खू सरकार और मुखिया ने भी बाकी सरकारों से कुछ अलग नहीं किया।
अब बात करते हैं आपदा की… सुक्खु सरकार के होते हुए प्रदेश में 2 महीने तक भयंकर आपदा का दौर रहा। हजारों करोड़ रुपये का नुकसान प्रदेश के कई हिस्सों में हुआ। लोगों के घर बह गए, अपनों की जान गई.. प्रदेश सरकार सिवाये ढांढस के कुछ और नहीं कर पाई, जबकि केंद्र ने भी मदद से अपने हाथ पीछे खींच लिए।
आखिर में सुक्खू सरकार ने अपने दम पर 4500 करोड़ रुपये का पैकेज तो दिया लेकिन ये पैकेज मिलेगा कैसे…?? कर्ज के दम पर पैकेज मिलेगा, या केंद्र देगा या फिर कोई और.. इसका अभी तक कोई पता नहीं है। साफ लफ़्जों के कहें तो आपदा के दौर में बजाय सियासत के कुछ और नहीं हुआ।
इसके बाद फेस्टिवल सीज़न चला और कुछ वक़्त के लिए सरकार के मुखिया की तबीयत भी बिगड़ी। इसी एक साल के बीच में कई तरह की घटनाएँ और दुर्घटनाएं भी हुईं, लेकिन जो प्रमुख तौर पर घटनाएं-दुर्घटनाएं हुई हुई और वह पब्लिक से जुड़ीं थीं वह आपके सामने जरूर रख दिए गए।
पर हैरानी की बात ये जरूर है कि एक साल में इतना सब होने के बाद भी सुक्खू सरकार आखिरकार किस चीज़ का जश्न मना रही है… ?? उस आपदा में टूटे हिमाचल का, सड़कों पर चीखते बेरोजगारों का, कर्ज में डूबते हिमाचल का, मंत्रिमंडल के लिए चीखते क्षेत्रों का, सरकारी विभागों की बिगड़ी हुई दशा का…??
खैर गिनने लगे तो सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब सिर्फ एक… कि व्यवस्था परिवर्तन का नारा देने वाली सुक्खू सरकार सियासत के जश्न भरे प्रोग्राम में कोई परिवर्तन नहीं कर पाई…
इतना जरूर है कि ये रिवाज मौजूदा सुक्खू सरकार ने शुरू नहीं किया है। सालों से भाजपा कांग्रेस की सरकारें 5-5 सालों तक अपने हर साल का जश्न मनाती आ रही हैं. लेकिन इस जश्न के टशन को ज्यादा हवा उस वक़्त लगी जब 2017 में जयराम की सरकार सत्तासीन हुई थी। उस वक्त सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल यानी 2018 में महंगा और हाईलेवल जश्न मनाया था।
मोदी-शाह को हिमाचल बुलाया गया… बस तभी से जयराम सरकार ने अपने हर साल का जश्न मनाया। बेशक जयराम राज में कोरोना का दौर था और अब सुक्खू राज में भी आपदा की बरसाई भयंकर आफ़त बरपी है। ऐसे में जश्न का शोर जोरों पर हैं।
सवाल ये है कि क्या नेताओं और सरकारों का जश्न निरंतर चलता है जबकि जनता भी जश्न मना सके इसका इंतजाम किसी भी सरकार से नहीं हो पाता… पहले जयराम तो अब सुक्खू सरकार का पहला सियासी जन्मदिन 11 दिसंबर को होने वाला है तो ऐसे में आप भी निराश न होएं, सरकार के सियासी जन्मदिन के जश्न पर गाना सुने और आनंद लें…