मानव भारती फर्जी डिग्री
बहुचर्चित मानव भारती फर्जी डिग्री मामले में चार आरोपी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं। विशेष न्यायाधीश शिमला ने आरोपियों की पेशी मामले की सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की है। इस मामले में एमएमयू के संस्थापक राज कुमार राणा, जगमल सिंह, जगमोहन चोहड़ा, प्रमोद कुमार, अजय कुमार, हिमांशु शर्मा, पंकज अग्रवाल और अभिषेक गुप्ता अदालत के समक्ष पेश हो चुके हैं। मगर नामित आरोपी सारिका, कृष्ण कुमार सिंह, मंदीप राणा और अशोनी कंवर अदालत के समक्ष पेश नहीं हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया था कि प्रथम दृष्टया आरोपियों के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए पर्याप्त कारण और आधार है।
अदालत ने कहा था कि दस्तावेजी साक्ष्य से प्रतीत होता है कि आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन निवारण अधिनियम 2002) की धारा-3 और 4 के तहत दंडनीय अपराध किया है। ईडी ने अदालत के समक्ष शिकायत की है कि वर्ष 2009 में आरोपी राज कुमार राणा ने सोलन के गांव लाड्डो, सुल्तानपुर में निजी विश्वविद्यालय मानव भारती (एमएमयू) की स्थापना की। साथ ही वर्ष 2013-14 में राजस्थान के आबू रोड सिरोही में माधव विश्वविद्यालय की स्थापना भी की। दोनों संस्थान मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के अधीन चलाए जा रहे थे। आरोप है कि राज कुमार राणा ने सुनियोजित तरीके से जाली/मनगढ़ंत दस्तावेजों की मदद से दोनों संस्थानों शुरू किए। एमएमयू के संस्थापक राणा ने सह आरोपियों के साथ विवि के नाम पर फर्जी डिग्रियां बेचकर मोटी रकम अर्जित की।
इस अपराध के लिए ईडी ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 462, 467, 471 और धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा-3 और 4 के तहत सोलन जिला के पुलिस थाना धर्मपुर में प्राथमिकी दर्ज की। प्रारंभिक जांच में ईडी ने आरोपी राज कुमार की चल और अचल संपत्ति 194.14 करोड़ रुपये आंकी है। विद्यार्थियों को नहीं मिल रहे प्रमाण पत्र हरियाणा वासी महिला की शिकायत पर पुलिस ने तीन मार्च 2020 को विश्वविद्यालय में छापेमारी की थी। इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉक को सील कर रिकॉर्ड को खंगाला और बिना जांची हुई उत्तर पुस्तिकाएं बरामद की थीं। विश्वविद्यालय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने से विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहे हैं।