115 साल पहले लाहौर
पीएम नरेंद्र मोदी के सपने मेक इन इंडिया का अनुसरण करते हुए पहली बार नैरोगेज (एनजी) कोच बनाकर जहां रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने अपनी कार्यकुशलता साबित की है, वहीं बिना किसी डिजाइन डाटा के स्विजरलैंड में सरपट दौड़ने वाली ट्रेन को मात देते विश्वस्तरीय माडर्न पैनारोमिक कोच बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया है। यह शब्द आरसीएफ के जीएम अशेष अग्रवाल ने सोमवार को पैनारोमिक (सेमी-विस्टाडोम) के चार कोच नार्दर्न रेलवे कालका को भेजने के लिए अनावरण करते हुए कहे। मुख्य अतिथि जीएम आरसीएफ ने कहा कि इन कोच को कालका-शिमला रूट पर दूसरे चरण के ऑसीलेशन ट्रायल के लिए आरसीएफ से भेजा जा रहा है।
इनमें एक एसी एग्जीक्यूटिव चेयर कार, एक एसी चेयर कार, एक नॉन एसी चेयर कार और एक लगेज कार शामिल हैं। इन्हें ट्रायल के परिणाम के आधार पर सात डिब्बों के रैक के तौर पर कालका-शिमला रूट पर 25 किलोमीटर की स्पीड पर यात्रियों के लिए चलाया जाएगा। एक कोच पर औसतन एक करोड़ आई लागत जीएम ने बताया कि स्विजरलैंड की ट्रेन को टक्कर देने वाले इन कोच की प्रति कोच लागत एक करोड़ रुपये आई है। उन्होंने बताया कि एसी एग्जीक्यूटिव 1.13 करोड़ तो लगेज कोच 90 लाख रुपये में बना है। इन चारों की औसतन कीमत निकाली जाए तो यह एक करोड़ रुपये बैठती है। इन सुविधाओं से लैस हैं कोच इन कोच में एयर कंडीशनिंग सिस्टम, बिजली सप्लाई, पैंट्री, बायो-वैक्यूम टॉयलेट, लाइटिंग व फ्लोरिंग आदि के नए डिजाइन में कई महत्वपूर्ण काम किए गए हैं, जिससे यात्री इसमें बैठकर शिमला की हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकें।
कोच में पावर विंडो की सुविधा दी गई और पैनारोमिक कोच में छत पर लगे शीशे को यात्री अपनी सुविधा अनुरूप धूप से बचाव के लिए ब्लर भी कर सकेंगे। अहम बात है कि इन कोच में एसी डिब्बे भी शुमार रहेंगे, जबकि पहले से दौड़ रही ट्वाय ट्रेन में यह सुविधा नहीं है। सुविधाओं व सुरक्षा मानकों की बात करते हुए जीएम ने कहा कि उन्हें हर्ष महसूस हो रहा है कि वह पीएम मोदी के सपनों को सरकार करने में सफल रहे हैं। इन चार कोच में अपग्रेडेड बोगियों और बेहतर ब्रेक सिस्टम के साथ हल्के वजन शैल का शामिल है। इनमें पैनारोमिक वाइडव्यू विंडो, सीसीटीवी व फायर अलार्म जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं होंगी। गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहेंगे कोच, शोर व वाइब्रेशन प्रूफिंग से लैस खूबसूरत इंटीरियर, एंटी अल्ट्रा वायलेट कोटेड विंडो ग्लास, उच्च श्रेणी के कोच में पावर विंडो और डोर, हीटिंग-कूलिंग पैकेज एसी स्थापित किए गए हैं, जिससे कोच के बाहर के मौसम के अनुरूप अंदर गर्मी व सर्दी रहेगी या यूं कह लें कि कोच गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म रहेंगे।
इनके अलावा इनमें लीनियर कंसील्ड पंखे, लीनियर एलईडी लाइट्स, फि्लप बैंक के साथ मॉड्यूलर सिटिंग रेल माउंटेड सीटें, एग्जीक्यूटिव क्लास के लिए लग्जरी सीटों के साथ रेस्टोरेंट सीटिंग, ऑन बोर्ड मिनी पैंट्री, लगेज बिन, इंटर कार गैंगवे आदि सुविधाएं यात्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेन का आभास करवाएंगी। 30 नहीं, अब बनेंगे 42 कोच जीएम ने बताया कि पहले उन्हें भारतीय रेलवे से 30 डिब्बों का आर्डर मिला था, लेकिन अब इन्हें 42 कर दिया गया है। चार भेजे जा रहे हैं और 26 का मैटीरियल आर्डर कर दिया गया है। शेष 12 के लिए भी जल्द मैटीरियल आर्डर कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल की ओर से आरसीएफ कपूरथला को अपनी आधुनिकीकरण की प्रतिष्ठित परियोजना सौंपी गई, लेकिन 1908 में पाकिस्तान की लाहौर स्थित मोगलपुरा वर्कशाप में डिजाइन की गई ट्वाय ट्रेन के लिए आरसीएफ के पास डिब्बों के विकास, जांच-परीक्षण के लिए नैरोगेज ट्रैक के मॉडलिंग हेतु कोई भी डाटा उपलब्ध नहीं था।
फिर भी आरसीएफ ने अपनी उच्च कुशलता का बाखूबी इस्तेमाल करते हुए न केवल इसके डिजाइन के शैल जिग्स, लिफ्टिंग टैकल, स्टैटिक टेस्ट जिग्स, नैरोगेज लाइन, लोडिंग गेज सरीखे इंफ्रास्ट्रक्चर का इन-हाउस निर्माण किया। दो-तीन माह में दौड़ने लगेंगे माडर्न कोच जीएम आरसीएफ ने बताया कि ट्रायल के दौरान इन कोच को लगातार 10 दिन तक कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक के बीच दौड़ाया जाएगा। ट्रायल 28 किलोमीटर की स्पीड से होगा, लेकिन कोच 25 की स्पीड से चलेंगे। क्योंकि एनजी कोच का ट्रैक भी अंग्रेजों के जमाने का पुराना है। इसलिए इसकी स्पीड पहले वाली ट्वाय ट्रेन जितनी ही रहेगी। हां, भविष्य में ट्रैक अपग्रेड होता है तो इसे हाई स्पीड पर दौड़ाने का जहां ट्रायल किया जा सकता हैं, वहीं इनकी सुविधाओं में इजाफा किया जाएगा। अगले दो-तीन माह में ट्रैक पर ये माडर्न कोच ट्रैक पर आ जाएंगे।