सरकार राज्य के शिक्षण
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में हमीरपुर छात्र संघ के एक समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश में 5जी तकनीक के बाद अब राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के शिक्षण संस्थानों में नए तकनीकी पाठ्यक्रम भी शुरू करने जा रही है, ताकि भविष्य में युवाओं को बेहतर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। उन्होंने कहा कि रोबोटिक्स, ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा, क्लाउड कम्प्यूटिंग डाटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे पाठ्यक्रम युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए चरणबद्ध तरीके से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल शुरू किए जा रहे हैं। इनमें प्री-नर्सरी कक्षाएं भी शुरू की जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए राज्य सरकार ने 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है ताकि गरीब छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित न रहें। इसके लिए उन्हें एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भी इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और यहीं से कानून की पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अपने अतीत को याद रखना जरूरी है।
हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को संजोए रखना भी युवा पीढ़ी का दायित्व है। मुख्यमंत्री ने इस कायक्रम के आयोजन के लिए हमीरपुर छात्र संघ को भी बधाई दी। मुख्यमंत्री के विश्वविद्यालय आगमन पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक हरीश जनारथा और चैतन्य शर्मा, कांग्रेस नेता रजनीश किमटा, अतिरिक्त उपायुक्त शिमला शिवम प्रताप सिंह आदि इस अवसर पर उपस्थित थे।
विश्वविद्यालय में हर छात्र पर 80 हजार खर्च रही सरकार प्रदेश सरकार प्राइमरी स्कूल में पढऩे वाले हर बच्चे पर 36 हजार तो विश्व विद्यालय में 80 हजार रुपए खर्च कर रही है। यह बात विश्वविद्यालय में कार्यक्रम के संबोधन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कही। सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को 50 करोड़ रुपए का अतिरिक्त अनुदान दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं किया, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब हुई है। अब आगामी चार वर्षों में हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जाएगा।