हमीरपुर में पंचकर्मा
आयुष विभाग हमीरपुर में पंचकर्म विधि से ऐसे छोटे बच्चों का भी इलाज किया जा रहा है जो जन्म के बाद कुछ समय तो बोले लेकिन इसके बाद उन्होंने बोलना बंद कर दिया। इसका कारण है छोटी आयु में बच्चों का मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना, बर्थ ट्रॉमा, एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) आदि हैं। डेढ़ से ढाई वर्ष आयु के बच्चे इस तरह की बीमारी से ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं। वहीं अभिभावकों बच्चों को मोबाइल लगाकर दे देते हैं और वह बच्चे लगातार मोबाइल में कार्टून आदि देख रहे हैं। इसका दुष्प्रभाव भी इन बच्चों पर पड़ रहा है और इन बच्चों की बोलने और सुनने की क्षमता क्षीण हो रही है।
सप्ताह पूर्व ही एक दो वर्ष का एक ऐसा बच्चा आयुष अस्पताल आया जो जन्म के बाद आठ-नौ माह बाद तो बोलता था। लेकिन बाद में उसने बोलना बंद कर दिया। अभिभावकों का भी यही मानना था कि शायद मोबाइल की वजह से ही यह सब हुआ। हालांकि आयुष अस्पताल हमीरपुर में पंचकर्म विधि से इस बच्चे की आवाज दोबारा लौट आयी। आयुष अस्पताल हमीरपुर में कार्यरत एमडी डॉ. मनुवाला गौतम ने कहा कि पंचकर्म एक ऐसी विधि है जिससे हर तरह का इलाज संभव है। ऐसे कई बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं जो जन्म के कुछ माह बाद बोलते हैं लेकिन बाद में बोलना बंद कर देते हैं और इसका कारण है मोबाइल का इस्तेमाल करना, बर्थ ट्रॉमा, एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) आदि हैं। उन्होंने कहा कि वह सात से आठ ऐसे बच्चों का पंचकर्म विधि से सफल इलाज कर चुकी हैं। अब इन बच्चों की आवाज आ गई है। अभी भी इन बच्चों को ऑब्जर्व किया जाता है। बच्चों को जंक फूड और मोबाइल आदि से दूर रखें। बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक आहार दें।