राज्य सरकार ने लाखों
कृषि विभाग ने खरीफ फसलों के बीजों की कीमतें 15 रुपये तक बढ़ा दी हैं, वहीं सब्सिडी पर मिलने वाले बीजों की मात्रा कम कर सब्सिडी भी कम कर दी है। अब किसानों को सीमित मात्रा में ही सब्सिडी पर बीज मिलेंगे। मुख्यमंत्री कृषि संवर्धन योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को कृषि बीज और अन्य उपकरण उपलब्ध करवाए जाते हैं। वर्ष 2023-24 में खरीफ फसल के दौरान किसानों को दिए जाने वाले बीज के दाम और मात्रा तय की है। सरकार पहले किसानों को जितना चाहे बीज सब्सिडी पर उपलब्ध करवाती थी। अब सब्सिडी पर मिलने वाले बीज की मात्रा सीमित कर दी है। तय मात्रा से ज्यादा खरीदने पर किसानों को बाजार के अनुसार भुगतान करना होगा। अब किसानों को बाजरा मात्र डेढ़ किलोग्राम मिलेगा। बरसीम दो किलो, मक्की पांच, धान हाईब्रीड चार, धान इंप्रूवड पांच, चरी पांच, मक्के के घास का बीज पांच, गेहूं 40 और जौई 20 किलोग्राम ही मिलेगी। इससे अधिक की खरीद पर किसान को सब्सिडी नहीं मिलेगी और उनसे बाजार के अनुसार कीमत वसूली जाएगी।
कृषि विभाग के कृषि विक्रय केंद्रों, पंजीकृत निजी बीज डिपो और सहकारी सभाओं के डिपुओं पर बीज की खरीद पर किसानों से आधार नंबर लिया जाएगा और पक्का बिल दिया जाएगा। मक्की हाईब्रीड का बीज पूर्व में 60 रुपये प्रति किलो मिलता था, लेकिन इस बार 75 रुपये में मिल रहा है। मक्की की अन्य किस्म 49 के बजाय 58 रुपये, बाजरा 52 के बजाय 64 रुपये, चरी 35 के बजाय 44 रुपये, धान का बीज 105 के बजाय 120 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रहा है। किसानों को मिलने वाली सब्सिडी भी 10 से 10 रुपये तक कम कर दी गई है। खेत जोतना, फसल कटाई और थ्रेसिंग के दाम पहले ही कई गुना बढ़ चुके हैं। अब बीजे के दाम बढ़ने और मात्रा कम होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ने वाली है। परेशानी उन किसानों को होगी, जिनके पास 100 से 150 कनाल तक कृषि योग्य भूमि है।
किसान सुरजीत सिंह, विक्रम सिंह, प्रताप ठाकुर ने बताया कि उनके पास 70 से 80 कनाल भूमि है, लेकिन उन्हें कृषि विक्रय केंद्र पर महज डेढ़ किलो बाजरा ही मिल रहा है। इतनी भूमि पर डेढ़ किलो बाजरे से कैसे बिजाई करें। कृषि विभाग के विक्रय केंद्र के माध्यम से मिलने वाले बीज में मात्रा तय की गई है। अधिक बीज खरीदने पर किसानों को सब्सिडी नहीं मिलेगी। सरकार ने इस बार के बजट में जितना पैसा कृषि के लिए रखा है, उसी हिसाब से इसे खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा बीजों की कालाबाजारी रोकने के लिए भी यह कदम उठाया गया है।- डॉ. राजेश कौशिक, निदेशक, कृषि विभाग