प्रदेश की अदालतों में
हिमाचल प्रदेश की अदालतों में सहायक जिला न्यायवादी (एडीए) स्थानांतरण और तैनाती के बाद भी ज्वाइन न करने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। खंडपीठ ने उन सहायक जिला न्यायवादी को 48 घंटे के भीतर ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं, जिन्होंने अभी तक अपना कार्यभार नहीं संभाला है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि ज्वाइन न करने की स्थिति में इन्हें निलंबित किया जाए और विभागीय कार्रवाई की जाए। खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि सहायक न्यायवादी के स्थानांतरण और तैनाती के लिए सचिव गृह और निदेशक अभियोजन राजनीतिक दबाव से मुक्त रहेंगे। अदालत को बताया गया कि जिन न्यायवादियों को 13 और 31 मार्च की अधिसूचना के तहत नियुक्त और स्थानांतरित किया गया था, उन्होंने अभी तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। वे अपने मनपसंद स्थानों में तैनाती के लिए राजनीतिक दबाव बना रहे हैं।
अदालत ने अधिकांश लोक अभियोजक, सहायक जिला न्यायवादी और जिला न्यायवादी के तबादला आदेश राजनीतिक सिफारिश के आधार पर किए जाने पर चिंता प्रकट की है। अदालत ने कहा कि ऐसा करने से अदालतों की कार्यवाही प्रभावित हो रही है। अभियोजन निदेशालय राजनीतिक हस्तक्षेप और अन्य दबाव से मुक्त होना चाहिए। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि हाल ही में नई अदालतों को खोलते समय अभियोजन पक्ष से जुड़े स्टाफ की नियुक्तियां नहीं की गईं। अदालत ने इन पदों को तुरंत प्रभाव से भरने के आदेश दिए हैं। अदालत ने गृह सचिव को अभियोजकों के रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए तुरंत कारगर कदम उठाने के आदेश भी दिए हैं। यह आदेश एडीए कार्यालय कंडाघाट से डीडीए कार्यालय ठियोग को स्थानांतरित किए गए सहायक जिला न्यायवादी प्रशांत सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए पारित किए।
बता दें कि एक अन्य मामले में लोक अभियोजकों के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद धारण करता है। जांच एजेंसी के एक हिस्से के बजाय वे एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण भी हैं। लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है। यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए।