बिजली बोर्ड कर्मचारी
बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने स्मार्ट मीटर टेंडर प्रक्रिया का विरोध किया है। इस संबंध में यूनियन ने बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा को पत्र सौंपा है। पत्र के माध्यम से यूनियन ने दावा किया है कि बिजली बोर्ड ने दस अप्रैल को स्मार्ट मीटर के टेंडर की प्रक्रिया दोबारा शुरू की है। यूनियन ने कहा कि केंद्र सरकार से इस योजना को लागू करने के लिए 360 करोड़ रुपए की मदद मिलेगी, जबकि 2240 करोड़ रुपए बिजली बोर्ड को अपने हिस्से से खर्च करने होंगे। बिजली बोर्ड पर इस खर्च का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। प्रदेश में सौ फीसदी स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की गई है, जबकि इसकी जरूरत फिलहाल नहीं है।
यूनियन के महासचिव हीरा लाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड ने 2017 में भी स्मार्ट मीटर के पायलट प्रोजेक्ट को कालाअंब में शुरू किया था और इसके लिए 40 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की गई थी। यहां यह प्रोजेक्ट उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया था। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर की प्रक्रिया पीपीपी मोड पर शुरू की गई है और इसका नुकसान आने वाले दिनों में न सिर्फ उपभोक्ताओं बल्कि बिजली बोर्ड सहित कर्मचारियों को भी भुगतना होगा। इस व्यवस्था में राज्य सरकार को 1350 रुपए की आर्थिक मदद मिलेगी। हालांकि मीटर खरीदने और इसे लोगों के घरों में लगाने के एवज में बिजली बोर्ड को इससे कहीं ज्यादा रुपए चुकाने होंगे। अब संभावना है कि योजना का पूरा बजट 2600 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा इस मसले पर कदम नहीं उठाया जाता है तो विरोध होगा। उधर, बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा ने कहा कि कर्मचारियों की मांग पर विचार किया जाएगा।