बनने से पहले पुल
शिमला(रोहडू), चम्बा और हमीरपुर में बड़े निर्माणाधीन पुल गिरने के बाद जिला कांगड़ा के जलाड़ी में 104 मी० लम्बा पुल गिरने से लोक निर्माण विभाग की रही सही साख भी मिट्टी में मिल गई है। धमाका इतना बड़ा कि शिमला तक गूंज सुनाई दी है मेरे द्वारा भेजी गई कवरेज को सभी प्रमुख समाचारपत्रों ने प्रमुखता से समाचार को स्थान दिया। घटना के बाद सरकार और सम्बन्धित विभाग के राडार पर जलाड़ी हाईलाईट हो गया है। उपमण्डल अधिकारी (SDM) के बाद लोक निर्माण विभाग के शीर्ष अधिकारी व क्वालिटी कंट्रोल शाखा के अधिकारी यहां हालात का जायजा ले रहे हैं। ये सब कार्यवाही किसी अंजाम तक पहुंचेगी या लीपा पोती का हिस्सा बनकर रह जाएगी। गणीमत ये रही कि निर्माण के दौरान ही ऐसा हादसा हो गया। पुल पूरा होने के बाद अगर कोई यात्री वाहन या बस इस हादसे की चपेट में आ जाता तो न जाने कितने घरों के चिराग बुझ सकते थे।
ताज्जुब है सीमेंट और सरिया किसी भी कंपनी का हो अपनी निर्धारित मात्रा का 40-50% भी लग जाए तो कुछ मजबूती बनी रहती है यानी निर्माण सामग्री में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। सबसे बड़ा सबाल कि अधिकारियों ने इसे अप्रूव(पास) कैसे कर दिया। क्या इनकी गरीबी इतनी बड़ चुकी थी कि सरकारी खजाने की लूट से जो कुछ हाथ लगता है उसी से शाम को घर का चूल्हा जलता है। ऐसे अधिकारियों का गुणवत्ता से समझौता करना और आम जनता की जान जोखिम में डालना शायद दिनचर्या का हिस्सा हो। वैसे भी लूट में छोटे अधिकारी से लेकर शीर्ष अधिकारी और नेताओं का हिस्सा रहता है। इसलिए लीपा पोती या जांच से कुछ निकलेगा कुछ भी कहना मुश्किल है।