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आईजीएमसी में करीब 60 लाख रुपये से हुई 400 लैंडलाइन फोन सेटों की हुई खरीद में घपला 

पांवटा थाना पुलिस
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आईजीएमसी में करीब 

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) एवं अस्पताल शिमला के लिए करीब 60 लाख रुपये से हुई 400 लैंडलाइन फोन सेटों की हुई खरीद में घपला हुआ है। इन लैंडलाइन फोन को मार्केट रेट से कई गुना अधिक दामों पर खरीदा है, जबकि इनमें सुविधा आम सेट की भी नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार अस्पताल प्रबंधन को एक लैंडलाइन फोन सेट लगभग 15 हजार रुपये में पड़ा है, जबकि बताया जा रहा है कि बाजार में इसी फोन की कीमत 1,200 रुपये है। अब आईजीएमसी प्रबंधन ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के इलेक्ट्रिसिटी विंग के अधिकारियों से खरीद का रिकॉर्ड मांग लिया। जांच में कई अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं। अस्पताल में किसके कहने पर इतनी महंगी दरों पर ये फोन खरीदे गए, इसको लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है।

एक्सचेंज लगाने का काम वर्ष 2020 में शुरू हुआ था

आईजीएमसी में नई एक्सचेंज लगाने का काम वर्ष 2020 में शुरू हुआ था। यह एक्सचेंज अभी सुचारु रूप से नहीं चल पाई है। इस बीच 400 लैंडलाइन फोन खरीद लिए गए। दावा किया जा रहा था कि इन फोन में इंटरनेट व अन्य सुविधाएं भी होनी थीं, लेकिन स्थिति इसके विपरीत थी। आलम यह है कि अस्पताल में जिन जगहों पर ये फोन लगे हैं, वहां भी सही से नहीं चल रहे हैं। प्रबंधन को इसकी सूचना मिली तो जांच में ये बातें सही पाई गईं। प्रबंधन स्तर पर की जांच में पाया गया कि इसमें फोन सुनने के अलावा अन्य कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में अब प्रबंधन ने अब पीडब्ल्यूडी इलेक्ट्रिसिटी विंग के अधिकारियों से इनकी खरीद का रिकाॅर्ड मांग लिया है।

घपला मिला तो करेंगे एफआईआर: डॉ. राहुल राव

आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने बताया कि लैंडलाइन फोन की कीमत लगभग 15,000 रुपये हैं। हालांकि पीडब्ल्यूडी इलेक्ट्रिसिटी विंग के अधिकारियों से इसके टेंडर दस्तावेज मांगे गए हैं। अगर इसमें घपला पाया जाता है, तो तुरंत एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी।

खरीद प्रक्रिया में अस्पताल प्रबंधन को भी नहीं किया था शामिल

बताया जा रहा है कि फोन खरीद प्रक्रिया में अस्पताल प्रबंधन तक को शामिल नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार इन फोन के डिब्बों पर प्रिंट रेट 25,000 रुपये है। ऐसे में सवाल यह है कि जब फोन खरीदने ही थे तो 1,000 से लेकर 1,200 रुपये तक में मिलने वाले ऐसे ही फोन क्यों नहीं खरीदे गए।

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